लखनऊ: ज्यादातर लोगों ने धर्म के नाम पर हिंदू-मुस्लिम को लड़ते देखा है। कोई मस्जिद तोड़ता है तो कोई मंदिर, लेकिन आपने ऐसा सुना है कि हिंदुओं ने मस्जिद बनवाई तो मुस्लिम ने मंदिर। आज हम आप को देश के कुछ ऐसी जगहों के बारे में बताने जा रहे है जहां हिंदुओं ने मुस्लिमों के लिए मस्जिद का निर्माण करवाया है। ये देखकर तो बस यही कहेंगे,
जितना भी कर लो दूर, रहेंगे हरदम दिल के करीब ऐसा कुछ कर जाएंगे कि इंसानियत भी करेगी खुद पर गुमान, मंदिर मस्जिद का फर्क मिटाकर देश को बनाएंगे एक समान।
रायगढ़ का मस्जिद
शिवाजी को हमेशा मुसलमानों के अगेंस्ट बताया गया है, लेकिन ऐसा नहीं तो वे ऐसे जननायक थे जिसने रायगढ़ में अपने महल के सामने जहां उन्होंने जगदीश्वर का मंदिर बनवाया, वहीं मुसलमानों के लिए एक विशेष मस्जिद भी बनवाई थी। इस मस्जिद में एक हजार से भी ज्यादा लोग इबादत कर सकते हैं।
कोझिकोड में मस्जिद
कोझिकोड में हिंदू व्यवसायी ने साल 2014 में मुसलमानों के लिए मस्जिद बनवाई थी। केरल के कन्नूर ज़िले का तलाशेरी शहर साठ के दशक से ही राजनीतिक हिंसा का केंद्र रहा है। इस शहर ने पहली बार हिंदू-मुस्लिम हिंसा 1969 में हुई थी। उसके बाद से यहां काफी सालों तक हिंसा का माहौल रहा, लेकिन धीरे-धीरे समय बदलता गया। जब से मस्जिद बना है तब से यहां अमन और शांति का माहौल है। इस मस्जिद को बनवाने में एक करोड़ रुपए की लागत आई है और यहां 500 से ज्यादा लोग नमाज़ अदा कर सकते हैं।
एमपी के गाडरी गांव का मस्जिद
मध्यप्रदेश का गाडरी गांव सांप्रदायिक सदभाव की ऐसी मिसाल है। जहां मानवता का सर गहरी श्रद्धा में डूब जाता है। गांव में मुसलमानों के करीब तीस घर हैं। पहले यहां मस्जिद नहीं हुआ थी और एक जीर्ण शीर्ण स्थान पर नमाज अदा की जाती थी। ये देखकर यहां के हिंदुओं मस्जिद निर्माण करने की ठान ली। गांव के हिंदू परिवारों ने न सिर्फ आर्थिक मदद की बल्कि मस्जिद निर्माण के लिए श्रमदान भी किया।
बिसाहड़ा की मस्जिद
बिसाहड़ा गांव में हिंदुओं ने बनवाई थी मस्जिद। आदेश भाटी, ग्रेटर नोएडा बिसाहड़ा इलाके के सबसे बड़े गांवों में शामिल है। गांव के पास बने एक मंदिर के कैंपस में मुस्लिम लड़कियों की शादी के लिए शामियाना लगवाया जाता है। उन्हें आर्थिक मदद से लेकर काम तक में मदद की जाती है। गांव के हिंदू अफलातून शाहजी ने मुस्लिमों के लिए मस्जिद और ईदगाह खुद अपने पैसों और जमीन पर बनवाई थी।
गांव की आबादी करीब 24 हजार है। इसमें 65 से 70 प्रतिशत आबादी ठाकुरों की है। 40-50 घर मुसलमानों के हैं। करीब 35 परिवार ब्राह्मण और बाकी अन्य जातियों के हैं। सभी मिलजुल कर रहते आए हैं। गांव के बुजुर्ग ओम प्रकाश सिसौदिया बताते हैं कि एक समय था जब भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के समय ठाकुरों ने अपने घर में मुसलमानों को पनाह देकर उनकी रक्षा की थी।
हंसिया मस्जिद
हंसिया मस्जिद को भी हिंदुओं ने चंदा इकठ्ठा कर बनवाई, फरीदाबाद के गांव टिकावली आज हिन्दु और मुस्लिम भाईचारे का प्रतीक बना है। इस मस्जिद को बनवाने के लिए गांव के हिन्दु भाईयों ने अपने खून पसीने की कमाई का कुछ हिस्सा देकर करके मस्जिद का निर्माण करवाया।