झांसीः जो उम्मीद की चाह रखते हों और दिल में जज्बा, तो मंजिले खुद ब खुद कदम चूमतीं हैं। ऐसी ही सोच रखने वाली हैं आईपीएस से आईएएस बनीं गरिमा सिंह। इन्होंने 29 साल की उम्र में अपना आईएएस बनने का सपना पूरा कर लिया है।
उनके इस सपने को पूरा करने के लिए उनके माता-पिता और पति राहुल ने उनका समय-समय पर मनोबल और उत्साह बढ़ाया। आईएएस बनने के बाद उनका पहला सपना होगा विकास और आर्थिक रुप से कमजोर लोगों की मदद करना।
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दिल्ली यूनिवसिर्टी से की पढ़ाई
-उत्तर प्रदेश के बलिया की रहने वाली गरिमा सिंह है।
-उनके माता पिता नोएडा में रहते हैं और बड़ी बहन मुम्बई में जॉब करती है।
-पिता ओमकारनाथ गुड़गांव की एक कम्पनी में इंजीनियर हैं।
-उन्होंने दिल्ली यूनिवसिर्टी से बीए और एमए की पढ़ाई की है।
-उनके पति राहुल राय नोएडा में एक कंपनी में इंजीनियर हैं।
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जब पुलिसवाले ने मांगी रिश्वत
-गरिमा सिंह ने अपनी यादों को साझा करते हुए बताया-डीयू में पढाई के दौरान मैं एक मॉल से रात में दोस्तों के साथ होस्टल लौट रही थी। तभी चेकिंग के लिए तैनात पुलिसवाले ने हमारा रिक्शा रोक लिया।
-रात में कहां से आ रही हो? कहां जाना है? जैसे सवाल पूछने के बाद हमसे 100 रुपए मांगे।
-मना किया तो घरवालों को फोन कर शिकायत करने की धमकी देने लगा।
- बहस के बाद पुलिस वाले ने हमें जाने तो दिया, लेकिन इस वाक्ये ने मेरे मन में पुलिस के खिलाफ गुस्सा भर दिया।
यह है आईपीएस से आईएएस का सफर
-गरिमा के सपने को पूरा करने में उनके माता-पिता,बड़ी बहन का सहयोग रहा।
-उन्होंने शुरु से ही उनके सपने को पूरा करने के लिए उनका मनोबल बढ़ाया है।
-उनके पिता का सपना था कि वह अपनी बेटी को सिविल सर्विसेस में देखें।
-उन्होंने तैयारी की और प्रथम बार में ही आईपीएस में चयनित हो गईं।
-वे 2012 बैच की आईपीएस हैं।
-आईपीएस बनने पर उन्होंने अपनी जिम्मेदारी का पूरा निर्वाहन किया।
-उनके पास आने वाले फरियादियों को उन्होंने न्याय दिलाने का प्रयास किया।
-ड्यूटी के बाद जो समय उन्हें आराम करने के लिए मिलता था उसमें वे पढ़ाई करतीं थीं।
-आईएएस बनने में उन्हें पहली बार सफलता नहीं मिली।
-दूसरी बार फिर प्रयास किया और उन्होंने इस बार अपने सपने को पूरा कर लिया।
-उन्होंने सामान्य श्रेणी की 91 सीटों में 55 वें रैंक को हासिल किया है।
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पति का भी रहा सहयोग
शादी के बाद उनके पति राहुल को जब उनके आईएएस के सपने की जानकारी हुई तो उन्होंने भी उनका मनोबल बढ़ाया। पति के साथ-साथ सास-ससुर ने भी उन्हें इस तरक्की तक पहुंचने में साथ दिया।
लगन और इच्छा शक्ति से कोई भी मंजिल हो सकती है हासिल
वह नहीं मानती हैं कि इस मुकाम पर पहुंचने के लिए 15 से 16 घंटे की पढ़ाई की जरुरत होती है। कम समय भी इसकी तैयारी की जा सकती है, जरुरत है तो लगन और इच्छा शक्ति की। अगर दिल में सपना पूरा करने की तमन्ना हों तो फिर कोई भी मंजिल हासिल की जा सकती है। आईएएस की तैयारियों करने वालों से वे बस इतना ही कहना चाहती है कि उन्हें अपने अंदरर जज्बे को जगाना होगा और फिर देखिए कि मंजिल आपके कदम चूमेगी।
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विकास और कमजोर लोगों की मदद करने का होगा सपना
गरिमा बस एक ही सपना होगा कि जिस प्रकार उन्होंने अभी तक अपने पदों पर रहकर जिम्मेदारी को पूरा किया है उसी प्रकार आगे भी अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करेंगी। उनका पहला सपना होगा कि वे जिस क्षेत्र में भी रहें वहां विकासकारी कार्य करें और कमजोर लोगों की मदद करेंगी।