नई दिल्ली : आज हम बात करेंगे इंटर सर्विस इंटेलीजेंस (आईएसआई) की। आईएसआई पाकिस्तान की सबसे बड़ी इंटेलीजेंस सेवा है। 1950 में पूरे पाकिस्तान की आंतरिक और बाह्य सुरक्षा का जिम्मा आईएसआई को सौंप दिया गया। इसमें सेना के तीनों अंगों के अधिकारी मिलकर आईएसआई के लिए काम करते हैं। पूर्व में इसका मुख्यालय रावलपिंडी में था और इसे इंटेलीजेंस ब्यूरों के नाम से जाना जाता था। वर्तमान में आईएसआई का मुख्यालय इस्लामाबाद में है और लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शूजा पाशा इसके निदेशक हैं। इस समय इसके स्टाफ में लगभग 25 हजार लोग हैं।
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कैसे हुआ जन्म
1947 में पाकिस्तान में दो मुख्य गुप्तचर एजेंसियां थी। इंटेलीजेंस ब्यूरो (आईबी) और मिलिट्री इंटेलीजेंस (एमआई)। 1947 में हुए भारत-पाक युद्ध में पाकिस्तानी मिलिट्री इंटेलीजेंस (एमआई) सेना के तीन अंगों नेवी, आर्मी और एयरफोर्स के बीच सूचनाओं और व्यवस्थाओं के आदान-प्रदान में एकदम विफल रही। इस असफलता से एक नई एजेंसी की जरूरत महसूस हुई। नतीजतन 1948 में आईएसआई का गठन किया गया। आईएसआई की नींव ऑस्ट्रेलियाई मूल के ब्रिटिश आर्मी ऑफिसर मेजर जनरल आर. कैथोम ने रखी थी जो उस समय पाकिस्तानी आर्मी स्टाफ के मुख्य थे।
आईएसआई के उद्देश्य
• पाकिस्तान की आंतरिक व बाह्य सुरक्षा का जिम्मा।
• अन्य देशों में हो रहे सेना व राजनीतिक बदलावों व विकास पर नजर रखना। जिसका सीधा प्रभाव पाकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा व्यवस्था पर पड़ता हो।
• दूसरे देशों की गुप्त जानकारियां इकट्ठा कर देश की सुरक्षा व्यवस्था में उचित बदलाव करना।
• गुप्तचर विभाग और सेना के तीनों अंगों के बीच सामंजस्य स्थापित करना।
• राजनीतिक गतिविधियों, मीडिया की खबरों व समाज की अन्य महत्वपूर्ण गतिविधियों पर नजर रखना।
• विदेशी कूटनीतिज्ञों व विदेश में कार्यरत पाकिस्तानी कूटनीतिज्ञों पर नजर रखना।
आईएसआई के प्रमुख विभाग
• ज्वाइंट इंटेलीजेंस एक्स (जेआईएक्स)- आईएसआई के सभी विभागों के बीच कॉर्डिनेशन करना।
• ज्वाइंट इंटेलीजेंस ब्यूरो (जेआईबी)- राजनीतिक जानकारी जुटाने के लिए जिम्मेदार।
• ज्वाइंट काउंटर इंटेलीजेंस ब्यूरो (जेसीआईबी) पाकिस्तान के विदेशी कूटनीतिज्ञो पर नजर रखना और मध्य पूर्व, दक्षिण एशिया, चीन, अफ्गानिस्तान और इस्लामिक देशों में चल रहे गुप्तचर कार्यों पर ध्यान देना।
• ज्वाइंट इंटेलीजेंस नॉर्थ (जेआईएन)- जम्मू-कश्मीर क्षेत्र के लिए जिम्मेदार।
• ज्वाइंट सिंगल इंटेलीजेंस ब्यूरो (जेएसआईबी)- भारत-पाक सीमा पर गुप्त जानकारियां जुटाना।
• ज्वाइंट इंटेलीजेंस टेक्निकल (जेआईटी)- आईएसआई की तकनीकी खामियां दूर करना।
• इसके अलावा युद्ध संबंधी विस्फोटक व रासायनिक विभाग भी अलग से हैं।
ये तो रही कुंडली अब जानिए इसके वो कारनामे जिसने इसे दुनिया की सबसे बदनाम एजेंसी बना दिया
ऑपरेशन जिब्राल्टर
1962 के युद्ध में चीन से हारा भारत पाकिस्तान को कमजोर चिड़िया नजर आ रहा था। आईएसआई ने ऑपरेशन जिब्राल्टर प्लान किया। इसके तहत कश्मीर का भारत के अन्य हिस्से से संपर्क तोड़ उसे अपने में मिला लेना था। लेकिन हुआ इसके विपरीत और जो हुआ वो इंडिया के इतिहास में दर्ज है।
बांग्लादेश का उदय
आईएसआई ने वर्तमान बांग्लादेश में अपने सबसे खूंखार सैनिकों को क्रांतिकारी आन्दोलन दबाने के लिए भेज दिया।लेकिन उसे नहीं पता था कि यहां इंडिया की रॉ पहले से ही लड़ाकों को ट्रेनिंग दे रही है। आईएसआई ने रॉ का नेटवर्क तोड़ने का बहुत प्रयास किया लेकिन उसके हाथ कुछ नहीं लगा। बल्कि रॉ ने उसके दो हिस्से कर दिए।
आईएसआई का कई बड़े नेताओं की हत्या में हाथ!
देश के पहले पीएम लियाकत अली खान की हत्या, जिया-उल-हक की प्लेन हादसे में मौत, बेनजीर भुट्टो की हत्या तो याद होगी आपको। इन सभी की हत्या में एक बात एक जैसी है किसी की भी हत्या के बाद हत्यारे या ग्रुप का सुराग नहीं मिला।
सेना और राजनीति से जुड़े लोग दबी जुबान में कहते हैं कि इनके पीछे आईएसआई का ही हाथ था। उसे ऐसे लगने लगा था की ये नेता और अधिक जिंदा रहे तो उसके अस्तित्व पर संकट आ जाएगा।
लादेन और फजीहत
2011 में एबोटाबाद में अमेरिकी कमांडों ने आतंकी सरगना ओसामा बिन लादेन को मार गिराया। ये वही इलाका है जहां आईएसआई के बड़े अफसरान अफसर भी रहते थे। लेकिन किसी को भनक नहीं थी या वो ऐसा जाहिर कर रहे थे अमरीका से डालर लेने के लिए। इसके बाद इस एजेंसी की दुनिया भर में फजीहत हुई।
26/11 के साथ नॉर्थ-ईस्ट और पंजाब में आतंकियों की मदद
आईएसआई ने इंडिया में नॉर्थ-ईस्ट इलाके के आतंकी ग्रुप्स को जमकर फंडिंग की। 1980-90 के दौरान इंडिया के पंजाब आईएसआई ने भिंडरावाले को हथियार और पैसा मुहैया कराया। 2008 में मुंबई हमले में आईएसआई का चेहरा दुनिया के सामने आ गया।
वो घटना जिसने इसे पाकिस्तान में हीरो बना दिया
1993 में भारत के सबसे बड़े शहर मुंबई में सिलसिलेवार बम ब्लास्ट हुए। इनमें ढाई-तीन सौ लोग बेमौत मरे गए। जांच में सामने आया कि आईएसआई ने इन धमाकों को डॉन दाऊद इब्राहम की मदद से अंजाम दिया। पाकिस्तान में इन धमाकों को आईएसआई ने ये कह कर प्रचारित किया कि उसने 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में गिराई गई बाबरी मस्जिद का बदला लिया है।
आतंकी ग्रुप्स को फंडिंग
आईएसआई भारत और अफगानिस्तान में मारकाट और दहशत फ़ैलाने के लिए आतंकी ग्रुप्स को फंडिंग करता है। उनके नाम आगे दिए जा रहे हैं।
तालिबान
तहरीक-ए-तालिबान
लश्कर-ए-तैय्यबा
लश्कर-ए-जांघवी
अल-कायदा
हिज्ब-ए-गुलबुद्दीन
जैश-ए-मुहम्मद
हरकत-उल-मुजाहिदीन
हक्कानी ग्रुप