अब किन्नर समाज भी कर सकेगा मोक्षनगरी में श्राद्ध, 24 को सामूहिक पिंडदान
उज्जैन के महाकुम्भ में आम सहमति से किन्नर लक्ष्मी नारायण को किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर की उपाधि दी गई थी। उन्होंने कहा कि अब वह सनातन धर्म के सोलह संस्कारों का क्रियान्वयन करेंगी। लक्ष्मी ने कहा कि 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने हमारे समाज को इंसान होने का हक दिया।
वाराणसीः मोक्ष नगरी काशी में अब किन्नर समाज भी अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिशाचमोचन कुंड पर पिंडदान और श्राद्ध कर सकेगा।
हिन्दू सनातन धर्म में किन्नर समाज अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए ये कर्मकांड लंबे अंतराल के बाद कर रहा है। इस आयोजन में देश भर के किन्नरों के साथ विदेशों से आए किन्नर भी शामिल होंगे।
सामूहिक पिंडदान
-24 सितंबर को जितेंद्रानंद स्वामी के नेतृत्व में 21 ब्राह्मणों के द्वारा पिशाचमोचन कुंड पर स्वर्गीय किन्नरों का सामूहिक पिंड दान किया जायेगा।
-पिशाचमोचन में किन्नरों की आत्माओं की शांति के लिए सामूहिक पिंडदान का यह आयोजन मुगल काल के बाद पहली बार किया जा रहा है।
-लक्ष्मी नारायण ने बताया कि इस आयोजन में शामिल होने के लिए देश भर के किन्नर 23 सितंबर को काशी पहुंचेंगे।
-किन्नर पहले अपने अखाड़े के इष्ट देव भोलेबाबा विश्वनाथ के दर्शन करेंगे। इसके बाद वे विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती में शामिल होंगे।
वेदों में किन्नर
-किन्नर अखाड़े की महा मंडलेश्वर लक्ष्मी ने कहा कि महाभारत से लेकर रामायण और सभी धर्म ग्रंथों में किन्नरों का महत्वपूर्ण स्थान रहा है।
-उन्होंने कहा कि मुगलकाल से लेकर ब्रिटिश काल तक के दौर में उनका पतन कर दिया गया। हमारे खिलाफ धारा 376 बनाई गई।
-लेकिन 311 साल बाद एक बार फिर से 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने हमारे समाज को हमारा हक दिया और हमे इंसान होने का दर्जा मिला।
-इसके बाद ही हमने अपने सनातन धर्म की खो चुकी प्रतिष्ठा को बचाने के लिए किन्नर अखाड़े का गठन किया।
-उज्जैन के महाकुम्भ में आम सहमति से किन्नर लक्ष्मी नारायण को किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर की उपाधि दी गई थी।
-लक्ष्मी ने कहा कि अब उनका दायित्व है कि अपने सनातन धर्म के सोलह संस्कारों का क्रियान्वयन करें।
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