यहां चलता है महिलाओं का राज, बेटी के जन्म पर मनाया जाता है जश्न

Update: 2016-06-15 09:23 GMT

मेघालय: शुरू से ही भारतीय समाज में औरतों को सम्मानजनक दर्जा दिया गया है। इसका उदाहरण चाहे महाभारत हो या रामायण, चाहे कोई भी ग्रंथ उसमे देखने को मिलता है, लेकिन आज के समय में समाज में महिलाओं के प्रति सोच बदली है और साथ ही इंसानियत के स्तर में भी गिरावट आई है, लेकिन समाज में अभी कुछ ऐसा समुदाय है तो महिलाओं के स्वामित्व को स्वीकारता है । ऐसा ही एक समुदाय है मेघालय की खासी जनजाति। जहां पूरे परिवार का दायित्व महिलाओं के हाथ में रहता है।

महिला का स्वामित्व

शिलांग में रहने वाली खासी जनजाति महिला प्रधान होती है। यहां पूरी संपति की मालिक परिवार की वरिष्ठ महिला होती है। वरिष्ठ महिला के गुजरने के बाद उसकी संपति महिला की बेटी या किसी अन्य महिला के नाम पर कर दिया जाता है।

एक से ज्यादा विवाह

जरुरत पड़ने पर इस जनजाति की महिला एक से ज्यादा पुरुषों के साथ विवाह भी कर सकती है। यहां तो पुरुषों को ससुराल जाना और रहना पड़ता है। हाल ही में यहां के कई पुरुषों ने इस पर्था में बदलाव के लिए मांग की है। वो मानते है कि महिलाओं का इज्जत करनी चाहिए, लेकिन बराबरी तो होनी चाहिए।

बेटी का जन्मोत्सव

आज हम बेटी बचाव अभियान चला रहे है, लेकिन आपको जानकर खुशी होगी कि यहां तो बेटी का जन्म होना जश्न है। मतलब यहां बेटी के जन्म पर जश्न मनाया जाता है बेटे पर खास उत्साह नहीं रहता है। यहां के मार्केय और बिजनेस पर भी महिलाओं का राज रहता है।

छोटी बेटी का ज्यादा हिस्सा

खासी समुदाय में परिवार की सबसे छोटी बेटी को विरासत में सबसे ज्यादा हिस्सा मिलता है। इसका कारण है कि छोटी बेटी परिवार की, माता-पिता, भाई-बहनों की जिम्मेदारी निभाने वाली होती है। उसे खातुदह यानि जिम्मेदारी निभाने वाली कहा जाता है।

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