लखनऊ : आज जिन आरोपों में मंत्री एम जे अकबर ने पद से इस्तीफा दिया है। ठीक ऐसे ही पूर्व की राजीव गांधी की सरकार में मंत्री रहे जिया-उर-रहमान अंसारी पर भी आरोप लगे थे। लेकिन उन्होंने इस्तीफा दिया नहीं, राजीव ने लिया नहीं। आइए जानते हैं पूरा मामला...
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वर्ष 1989, अक्टूबर का महीना...गुलाबी सर्दियां दस्तक दे चुकी थीं। (उस समय धरती इतनी गरमाई नहीं थी तो अक्तूबर में सर्दी गुलाबी होती थी)। देश में कांग्रेस की सरकार थी। राजीव गांधी पीएम हुआ करते थे। सरकार गंभीर भ्रष्टाचार के आरोपों से तरबतर थी। 9वीं लोकसभा चुनाव की तैयारी जोरों पर थी। बोफोर्स और पंडुब्बी कांड गांव चौपालों तक पर चर्चा के विषय थे। इसी समय बड़ा धमाका हुआ और केंद्र के वन एवं पर्यावरण मंत्री जिया-उर-रहमान अंसारी जोकि पीएम के काफी करीबी थे, उनपर 26 वर्षीय युवती ने आरोप लगाया कि 11 अक्टूबर 1989 को पर्यावरण भवन में मंत्री ने अपने ऑफिस में उसके साथ यौन दुर्व्यवहार किया।
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मामले की सूचना फौरन तत्कालीन कैबिनेट सचिव टी एन शेषन और पीएम के प्रधान सचिव बी जी देशमुख को दी गई। इस सूचना पर कोई कार्रवाई नहीं होती देख 27 अक्टुबर 1989 को लोधी कालोनी थाने में एक एफआईआर दर्ज कराई गई।
वहीं अंसारी ने अपने ऊपर लगे आरोप पर कहा, मेरे संसदीय क्षेत्र उन्नाव से मेरा टिकट काटने की साजिश के तहत मेरे ऊपर ये घटिया आरोप लगाए गए हैं। इसके बाद मामला दब गया किसी ने भी पीड़ित की सुध नहीं ली, क्योंकि चुनाव जो सिर पर थे। नेताओं के पास काम बहुत था और जनता की याददाश्त तो वैसे भी बहुत कमजोर होती है।