पाक बनाने में था इस कट्टरपंथी नेता का बड़ा हाथ, पर इस हिंदुस्तानी मल्लिका को दे बैठे थे दिल

Update:2017-04-19 12:52 IST

मुंबई: वैसे तो मुस्लिम लीग के संस्थापक मोह्म्मद अली जिन्ना की छवि एक कटरपंथी और विभाजक की रही है। पाक के निर्माण कर्ता और पहले राष्ट्रपति मोहम्मद अली जिन्ना राजनीतिक दांवपेंच में माहिर रहे, पर दिल के मामले में उन्होंने राजनीति नहीं खेली।उनको प्यार हुआ भी तो हिंदूस्तानी पारसी लड़की रतनबाई (रुट्टी) से ।

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जिन्ना और रुट्टी के प्यार और शादी की कहना अपने वक्त में हर किसी की जुबानी रही। जब जिन्ना 40 साल के थे तो उन्होंने रूट्टी पेटिट से शादी करने की इच्छा जताई थी। रूट्टी ने इस शादी के लिए हां बोलने से पहले एक शर्त रखी कि वह उनकी दुल्हन तब बनेंगी जब वो अपनी मूंछें मुंडवा लेंगे। जिन्ना ने रूट्टी की इस बात को मानते हुए ना ही केवल अपनी मूंछें कटवा लीं, बल्कि रूट्टी को इम्प्रेस करने के लिए अपनी हेयर स्टाइल भी बदल डाली।

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इस बात का जिक्र वरिष्ठ पत्रकार शीला रेड्डी ने अपनी किताब मिस्टर एंड मिसेज जिन्ना, द मैरिज दैट शुक इंडिया में पारसी लड़की रुट्टी के साथ जिन्ना के शादी के बारे बताया हैं जो उनसे उम्र में 24साल छोटी थीं। शीला रेड्डी ने 17 अप्रैल को अपनी किताब के बार में बताते हुए इस दिलचस्प वाकया का वर्णन किया है। उन्होंने इस मौके पर जिन्ना और उनकी पत्नी तथा दोनों परिवारों के दुर्लभ चित्रों के अलावा उनके जीवन के कुछ पहलू भी सामने रखें।

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इस किताब में लिखते हुए लेखन ने बताया कि जिन्ना ने रूट्टी के पिता दिनशा मानेकजी के सामने अपने बैरिस्टर कौशल का इस्तेमाल करते हुए उनसे उनकी पुत्री का हाथ मांगा था। एक जगह लिखा है कि जिन्ना की रूट्टी के पिता से बातचीत हो रही थी और उन्होंने उनसे अंतर समुदाय विवाह के बारे में उनका रूख पूछा तो रुट्टी के पिता दिनशा मानेकजी पेटिट ने कहा, यह देश की एकता के लिए अच्छी बात होगी।

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इसके बाद अब जिन्ना ने अगला सवाल किया कि वो आपकी बेटी से विवाह करना चाहता हैं। तो इस सवाल के बाद उन्हें दरवाजे से बाहर फेंकवा दिया गया था और दोनों के बीच उसके बाद कभी मुलाकात नहीं हुई।

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रूट्टी रतन बाई का छोटा नाम है। जब यह वाकया हुआ तो वह उस समय 16 साल की ही थीं,शादी के लिए वो कानूनी रुप से अयोग्य थी।, लेकिन इसके बावजूद 2 साल के इंतजार के बाद दोनों ने 1918 में बम्बई के जिन्ना हाउस में शादी कर ली। रूट्टी के परिवार ने इसका विरोध किया और शादी में शामिल नहीं हुए।

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शादी के लिए रूट्टी ने इस्लाम कबूल किया और मरियम नाम रख लिया। इन सब बातों के बारे में राइटर की नजर नेहरू मेमोरियल लाइब्रेरी में रूट्टी के रखें कुछ लेटर पर पड़ी जो उन्होंने सरोजनी नायडू की दो पुत्रियों पद्मजा और लीलामणि नायडू को लिखे थे। बता दें कि रूट्टी की 1929 में कैंसर से मौत हो गई और जिन्ना पाकिस्तान जाने से पहले आखिरी बार मुंबई में स्थित उनकी कब्र पर गए थे।

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