ये कैसी परंपरा! जहां घरवाले करवाते हैं बहुओं से वेश्यावृति

Update:2016-04-12 15:49 IST

नई दिल्ली: हमारे देश में परंपराओं- रीति-रिवाजों के नाम पर बहुत कुछ होता है। ये नियम कायदे-कानून तो समाज के ठेकेदारों ने औरतों के लिए ही बना रखा है, कुछ खबरों को सुनने, देखने और पढ़ने पर लगता है। ऐसी ही एक खबर है नई दिल्ली के नजफगढ़ में रहने वाले एक समुदाय है जो रीति-रिवाजों के नाम पर अपनी बहुओं से वेश्यावृत्ति का धंधा करवाते है। सुनकर ही ताज्जुब होता है।

अगर देख ले तो आप ये सोचने पर एक बार तो विवश जरूर होंगे कि आज के परिपेक्ष्य में हम नारी सम्मान की बात करते है। महिला दिवस मनाते है और शक्ति की पूजा करते है, लेकिन इसके बाद भी ये रीति-रिवाज के नाम पर वेश्यावृत्ति के धंधे में झोंकने वालों के खिलाफ हम आवाज क्यों नहीं उठा पाते है, क्यों परंपराओं के नाम पर आंखों के सामने गलत होने दिया जाता है।

परना समुदाय

दिल्ली के नजफगढ़ के इस समुदाय का नाम 'परना समुदाय' है। खबरों के अनुसार, प्रेमनगर बस्‍ती में रहने वाले परना समुदाय के लोग अपनी बहुओं से ये काम कई पीढ़ियों से करवाते आ रहे हैं। इस समुदाय में लड़कियों की शादियां बहुत कम उम्र में कर दी जाती है। महज 12-15 साल के बीच में इस समुदाय की लड़कियों की शादी करवा दी जाती है। इसके बाद ससुराल वाले बहुओं से रोज रात में धंधा कराते हैं। ये इस समाज की रोजी रोटी का जरिया भी है।

ससुर-पति लाते है ग्राहक

इस धंधा में शामिल महिलाओं को शुरू-शुरू में ये मालूम नहीं होता कि उनके साथ क्या हो रहा है। जब मालूम होता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है और वे इसे अपनी नियति मान लेती है। वेश्‍यावृत्ति का धंधा करने के साथ-साथ बहुएं घर का पूरा कामकाज भी संभालती हैं। अपने पति, सास-ससुर, बच्‍चों आदि के लिए रात का खाना बनाने के बाद वे ग्राहकों को संतुष्‍ट करने के लिए निकल जाती हैं और उसके बाद से घर के कामकाजों में व्‍यस्‍त हो जाती हैं। यही उसकी दिनचर्या होती है।

मना करने पर सजा

बता दें कि परना समुदाय की कोई भी लड़की या बहू इससे इनकार करती है तो उसे प्रताड़ित किया जाता है। कई बार वेश्‍यावृत्ति से मना करने पर बहुओं को जान से भी हाथ धोना पड़ता है।

हम बहू को घर की इज्जत मानते है। घर से बिना काम के दहलीज के बाहर निकलना ही गलत माना जाता है। ऐसे में खोखली परपंराओं के नाम पर खुले आम सबकुछ होना समझ से परे है।

ये खबर पढ़कर आप एकबार जरूर सोचेंगे, अगर नहीं भी सोचे हो तो जरूर विचार करें कि दिल्ली में बैठे मठाधीश नारी सम्मान की बात करते हैं तो फिर ये क्या? राजधानी से महज कुछ दूरी पर ही नजफगढ़ है और यही ये समुदाय, तो सवाल ये उठता है कि क्यों इस समाज और इसकी परंपराओं पर किसी की नजर नहीं गई। जहां के लोग खुद हर रात अपनी बहू-बेटियों की अस्मत महज कुछ पैसों के लिए लुटवाते है।

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