लखनऊः कभी कड़ाके की ठण्ड तो कभी ठण्ड में भी गर्मी का एहसास बारिस के मौसम में सूखा और बसंत के मौसम में लोगों को झुलसा देने वाली गर्मी का पड़ना तो जैसे आम बात हो गई है। कहीं भूकंप तो कहीं बाढ़ लोगों की जान ले रहा है। ऐसे में कौन है इस बदलते वातावरण का जिम्मेदार?
मानव खुद है इसकी वजह
-बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर यूनिवर्सिटी लखनऊ में इंवॉर्मेन्टल साइंस विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ शिखा ने Newztrack.com को बताया कि वातावरण में जो बदलाव हो रहा है, उसका जिम्मेदार खुद इंसान ही है।
-वाहन, एसी और रेफ्रिजरेटर से ग्रीन हाउस गैसें निकलती हैं। इनका बढ़ता उपयोग वातावरण को प्रभावित कर रहा है और इसका नतीजा ये है कि हर मौसम अस्त-व्यस्त हो रहा है।
-उन्होंने कहा कि आजकल गेहूं की कटाई के बाद जो उसकी खूटी बचती है, उसे किसान खेतों में ही जला देते हैं।
-इसके आलावा पॉलीथिन कूड़ा आदि को भी लोग जलाने में ही भलाई समझते हैं, लेकिन इससे निकलने वाला धुंआ वातावरण को प्रभावित करता है।
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नेचुरल साइकिल के कारण होता है ये
-आंचलिक मौसम विभाग के निदेशक जेपी गुप्ता ने कहा कि वातावरण का बदलना तो नेचर के हाथ में है।
-साल 2010 में इससे भी ज्यादा गर्मी थी, तो कभी बहुत ज्यादा ठंडी पड़ जाती है।
-ये तो नेचुरल साइकिल है, जिसके कारण ऐसा होता है।
बदलता वातावरण कर रहा है बीमार
-बलरामपुर हॉस्पिटल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ राजीव लोचन ने कहा कि मौसम में हो रहा बदलाव लोगों को बीमार कर रहा है।
-कभी ज्यादा ठण्ड तो कभी अचानक से गर्मी के बढ़ने के कारण लोगों को सर्दी जुकाम जैसी बीमारियां हो रही हैं।
-उन्होंने कहा कि पहले अगर किसी दूसरे देश में कोई बीमारी फैलती थी तो वह उसी देश तक सीमित रह जाती थी।
-आजकल किसी भी बीमारी को दूसरे देशों में फैलते हुए टाइम नहीं लगता।
-हवाई जहाज के माध्यम से इंसान 4 से 5 घंटे में कही भी आसानी से पहुंच सकता है।
-अगर उस व्यक्ति के अंदर वायरस है तो वो दूसरे देशों में भी फैल जाती है।
-बदलते वातावरण का मुख्य कारण पेड़ों की कटाई और वाहन है।
ऐसे संवरेगा एन्वॉयरमेंट
-डॉ शिखा ने कहा कि उन्हें केजरीवाल का ऑड इवन वाला फॉर्मूला बहुत ही पसंद आया।
-अगर ऐसा हर जगह हो जाए तो काफी हद तक वातावरण सुधर जाएगा।
-इसके अलावा पॉलीथिन, खेतों में लगे खूटे आदि को जलाना बंद करें।
-डॉ राजीव लोचन ने कहा कि ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने से वातावरण संवर सकता है और पेड़ लगने के कारण अधिक ऑक्सीजन मिलेगी, जिससे लोग कम बीमार पड़ेंगे। इसके आलावा लोगों को एसी, रेफ्रिजरेटर और वाहनों का उपयोग कम करना चाहिए।