आरएसएस के न्यौते पर मचा हंगामा, प्रणब दा बोले-7 जून को मिलेगा सबको जवाब

Update: 2018-06-03 04:41 GMT

नई दिल्ली: आरएसएस के बुलावे पर प्रणब मुखर्जी के हामी भरते हीं दिल्ली की राजनीति में भूचाल आ गया है। कांग्रेस खुलकर इसपर सवाल खड़े कर रही है तो वहीं भाजपा के भी कुछ सीनियर नेताओं के कान खड़े हो गए हैं। आरएसएस के न्यौते को स्वीकार करने के बाद प्रणब दा के घर चिट्ठियों, ईमेल, फोन कॉल्स की भरमार लग गई है और सबके मन में सिर्फ एक ही सवाल- आखिर क्यों?

7 जून को मिलेगा जवाब

पूर्व राष्ट्रपति और कांग्रेस नेता प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यक्रम में जाने को लेकर हामी भर दी है। लेकिन उनके इस फैसले पर बवाल मच गया है। प्रणब मुखर्जी ने पूरे मामले में अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि 'मुझे जो भी कहना है, वो नागपुर में 7 जून को कहूंगा'। उन्होंने यह भी कहा कि आरएसएस कार्यक्रम में जाने को लेकर मुझे कई चिट्ठियां मिली हैं। कई फोन कॉल्स आए हैं. मैंने अब तक किसी को कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। मुझे जो भी बोलना होगा वह 7 जून को बोलूंगा। इस मसले पर बात करते हुए भाजपा के कैबिनेट मंत्री और नागपुर से सांसद नितिन गडकरी ने कहा कि राजनीतिक छुआछूत का जमाना अब खत्म हो चुका है।

कोंग्रेसियों ने लिखी चिट्ठी

आरएसएस के कार्यक्रम में जाने को लेकर कांग्रेस के नेताओं ने प्रणब मुखर्जी को चिट्ठी लिखकर उनसे कार्यक्रम में शामिल नहीं होने की गुजारिश की है। जयराम रमेश और सीके जाफर शरीफ जैसे कई कांग्रेस नेताओं का कहना है कि प्रणब मुखर्जी जैसे विद्वान और सेक्युलर इंसान को आरएसएस के साथ किसी तरह की नजदीकी नहीं होनी चाहिए। उनके आरएसएस के कार्यक्रम में जाने से देश के सेक्युलर माहौल पर गलत असर पड़ेगा। पी चिदंबरम ने भी इस न्यौते को लेकर सवाल खड़े किये हैं और उन्होंने तो पूर्व राष्ट्रपति को सलाह तक दे डाली कि वे आएसएस के विचारों में कमियां बताकर वहां से आएं। ऐसे में यह साफ़ हो चुका है की कांग्रेस इस मुद्दे पर प्रणब मुखर्जी के फैसले के खिलाफ है।

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