OMG: यहां शवों के बीच में होती है मासूम बच्चों की पढ़ाई, लेकिन चलती है टीचर्स की मर्जी

Update: 2016-09-17 05:31 GMT

झारखंड: डेड बॉडी का नाम सुनते ही मन में तरह-तरह की बातें आने लगती हैं। लोग उसके पास जाने से डरते हैं क्योंकि लोगों को लगता है कि कहीं वह डेड बॉडी उठ कर न बैठ जाए या फिर कहीं उन्हें भी अपने साथ न ले जाए। लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इंडिया में झारखंड के एक स्कूल का नजारा देखकर आपकी भी रूह कांप उठेगी। जहां एक तरफ हम लोग मौत, शव और कब्रिस्तान जैसे शब्दों से भी दूर भागते हैं, वहीं झारखंड के लोहरदगा में बच्चे इन्हीं सब के साथ खेलते हैं और मस्ती करते हैं।

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दरअसल झारखंड के लोहरदगा में एक सरकारी स्कूल कब्रिस्तान के बीच बना है। यह स्कूल लोहरदगा के किस्को प्रखंड क्षेत्र के कोचा गांव में है। इस स्कूल के सारे स्टूडेंट्स लंच और फ्री टाइम में इन्हीं शवों के साथ हंसते-खेलते हैं। पढ़ाई करने के लिए भी कभी-कभी यह उन्हीं के ऊपर बैठ जाते हैं। इस सरकारी स्कूल में केवल एक ही कमरा है।

बता दें कि जब यह बच्चे स्कूल में एंट्री करते हैं, तो वह शवों के ऊपर ही कदम रखकर आते हैं। अगर कभी यह बच्चे कब्र के ऊपर बैठे दिख भी जाएं, तो इसमें हैरान होने की जरुरत नहीं है।

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जब भी गांव में किसी की मौत होती है, तो उसे दफ़नाने के लिए इसी स्कूल में ले जाते हैं। लाशों को दफ़नाने से पहले सभी 89 बच्चों को स्कूल के दो टीचर कमरे में बंद कर लेते हैं। इस स्कूल की टीचर अनुसन्ना तिर्की का कहना है कि टीचर और बच्चे तब तक बाहर नहीं निकलते, जब तक दफनाने की प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती है। ज्यादा जगह न होने की वजह से सभी क्लास के बच्चे एक ही कमरे में बैठकर पढ़ाई करते हैं। ऐसे में बच्चे अपनी क्लास के हिसाब से नहीं बल्कि अपने टीचर की इच्छानुसार ही पढ़ते हैं।

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शवों के साथ इस स्कूल में पढ़ाने वाली एक टीचर का कहना है कि जब तक स्कूल को किसी दूसरी जगह पर शिफ्ट नहीं किया जाएगा, प्रॉब्लम ख़त्म नहीं होगी। वहीं गांव में रहने वाले रेहान कहते हैं कि यह कब्रिस्तान काफी पुराना है। इस वजह से बरनाग, कोचा और आसपास के कई गांवों के बच्चे इस स्कूल में पढने आते हैं और कई बच्चे तो यहां से पढ़ने के बाद कई स्थानों पे कार्यरत भी हैं। इस मामले के बारे में जिला शिक्षा अधीक्षक रेणुका तिग्गा ने कुछ कहने से इंकार किया है। उन्होंने कहा कि पहले वह स्कूल का दौरा करेंगी।

 

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