लखनऊ: मृतक संघ के अध्यक्ष लाल बिहारी के रोचक जीवन पर जल्द ही फिल्म बनने जा रही है। सतीश कौशिक इसके लिए जल्द ही लोकेशन देखने आ रहे हैं। यूपी के आजमगढ़ निवासी मृतक लाल बिहारी को खुद को जिंदा साबित करने में 18 साल लग गए। खास बात यह है कि सुनवाई के दौरान कोर्ट में इन्हें ‘मृतक लाल बिहारी हाजिर हों’ कहकर बुलाया जाता था। अपने जिंदा होने के सबूत के तौर पर इन्होंने पूर्व पीएम राजीव गांधी और विश्वनाथ प्रताप सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ा था।
कौन हैं मृतक लाल बिहारी
-लाल बिहारी आजमगढ़ जिले के गांव खलीलाबाद निवासी हैं।
-साल 1976 में इन्हें राजस्व विभाग के रिकॉर्ड में डेड घोषित कर दिया गया।
-इसके साथ ही इनकी सारी संपत्ति रिश्तेदारों के नाम कर दी गई।
-21 साल के अशिक्षित युवा लाल बिहारी ने अधिकारियों से जाकर कहा कि वह मरे नहीं, जिंदा हैं, लेकिन किसी ने उनकी एक न सुनी।
-खुद को जिंदा साबित करने की यह लड़ाई इतनी आसान नहीं थी। यह तो संघर्ष की शुरुआत ही थी।
जिंदा साबित करने की जंग
-खुद को जिंदा साबित करने के लिए लाल बिहारी ने कई तरीके अपनाए।
-ऑफिसों का चक्कर काटने के बाद उन्होंने 9 सितंबर 1986 के विधानसभा में पर्चे फेंके और गिरफ्तारी दी।
-इसके बाद दिल्ली के वोट क्लब पर 56 घंटे तक अनशन किया।
इस तरह मिली सफलता
-इन सब के बावजूद राजस्व विभाग उन्हें जिंदा मानने को तैयार नहीं था।
-इसके बाद उन्होंने अमेठी से दिवंगत पीएम राजीव गांधी के खिलाफ 1989 में लोकसभा का चुनाव लड़ा।
-इससे पहले 1988 में इलाहाबाद संसदीय सीट से पूर्व पीएम विश्वनाथ प्रताप सिंह के खिलाफ भी चुनाव मैदान में उतरे।
-आखिरकार उनकी लंबी लड़ाई का अंत 18 साल बाद 1994 में हुआ और उन्हें जीवित माना गया।
-हालांकि मृतक शब्द उनके नाम के साथ हमेशा के लिए जुड़ गया।
मृतक लाल बिहारी हाजिर हों
-इलाहाबाद हाईकोर्ट में चले मुकदमे की सुनवाई में उन्हें ‘मृतक लाल बिहारी हाजिर हों’ कहकर बुलाया जाता था।
-अदालत में नाम के साथ मृतक कह कर पुकारे जाने का उन्हें दर्द था।
-वह अनपढ़ जरूर थे, लेकिन अपना मुकदमा खुद लड़े। खुद जिरह की और विपक्षी वकीलों के जवाब भी दिए।
दूसरों को साबित कर रहे जीवित
-लाल बिहारी ने खुद को जिंदा साबित करने के दौरान यह महसूस किया कि जिन लोगों के साथ ऐसा हुआ है वे कितने दर्द में हैं।
-इसके साथ ही उन्होंने अपने जैसे दूसरे लोगों की सहायता के लिए मृतक संघ बनाया।
-इसके तहत प्रदेश में अब तक मृतक बताए जा चुके हजारों लोगों को जिंदा साबित किया गया।
सतीश कौशिक ने खरीदी स्टोरी राइट्स
-मृतक लाल बिहारी की रोचक लड़ाई पर फिल्म डायरेक्टर सतीश कौशिक ने फिल्म बनाने का फैसला किया था।
-इसके लिए 2003 में लाल बिहारी से स्टोरी के राइट्स लिए, लेकिन 12 साल बाद भी बात आगे नहीं बढ़ी।
-इसको लेकर बिहारी लाल ने सतीश कौशिक को दो बार लीगल नोटिस भी भेजा।
-उन्होंने कहा कि या तो फिल्म बनाने की घोषण की जाए या फिर स्टोरी के राइट्स वापस कर दें।
-अब मृतक लाल बिहारी की स्टोरी पर फिल्म बन सकती है।