ज्यादातर युवावर्ग इस बीमारी की चपेट में, रिसर्च में इसकी वजह का खुलासा

Update: 2018-02-12 04:40 GMT

जयपुर: आज के समय में आबादी का आधा हिस्सा बहुत गंभीर बीमारी की चपेट में है। खासकर युवावर्ग। ये खतरा है तनाव या डिप्रेशन का जो ज्यादातर कॉलेज में पढ़ने वाले बच्चों में को अपनी चपेट में ले रहा है। विद्वानों का कहना है कि कॉलेज में पढ़ने वाला हर पांच में एक स्टूडेंट तनाव और निराशा की परेशानी से जूझ रहा है।

'सेंटर फॉर कॉलीगिएट मेंटल हेल्थ रिपोर्ट' में ये समाने है कि कॉलेज में पढ़ने वाले सबसे ज्यादा स्टूडेंट डिप्रेशन के लिए काउंसलिंग की मांग कर रहे हैं। इस आधार पर रिसर्च में कहा गया है कि कॉलेज में पढ़ने वाले हर पांच में से एक स्टूडेंट को चिंता और डिप्रेशन की दिक्कत होती है। वेन स्टेट यूनिवर्सिटी में मनोविज्ञान के प्रोफेसर डेविड रोसेनबर्ग बता रहे हैं स्टूडेंट में निराशा की वजह क्या है..

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मौजूदा दौर में तकनीक में हो रहे बदलाव, युवाओं की दिमागी परेशानी का सबसे बड़ा कारण बने हुए हैं। इसमें सबसे पहले आता है सोशल मीडिया जो कॉलेज में पढ़ने वाले स्टूडेंट पर सबसे ज्यादा असर डालता है। उनका कहना है सोशल मीडिया पर पूरे समय चिपके रहने वाले बच्चे वर्चुअल दुनिया और हकीकत के बीच लगातार लड़ाई लड़ते रहते हैं। इन स्टूडेंट्स को इस बात की चिंता सताती रहती है कि उनकी वर्चुअल दुनिया पर बनाई गई छवि को कोई नुकसान न हो।

इसके अलावा अध्ययन का ये भी मानना है कि स्मार्टफोन एजडिक्शन भी स्टूडेंट में नींद की दिक्कत, निराशा, तनाव और चिंता बढ़ाता है। एक शोध में पता चला है कि 50 प्रतिशत कॉलेज स्टूडेंट देर रात नींद से जागकर मैसेज का रिप्लाई करते हैं।

कॉलेज में पढ़ाई का प्रेशर, अलग-अलग एक्टिविटी करने की चिंता जैसे तमाम चीजों को झेलने के लिए अक्सर छात्र दवाइयों का सेवन शुरू कर देते हैं। लेकिन कभी-कभी ली जाने वाली दवाइयों को अक्सर लेने से बच्चों को इसकी लत लग जाती है। प्रोफेसर डेविड का कहना है कि पिछले पांच सालों में मेरे पास ज्यादातर ऐसे मामले आए जिसमें मां-बाप ने बताया कि दवाइयों के कारण उनके बच्चे में तनाव बढ़ गया है। ऐसा देखा गया है कि बीते 20 सालों में हमारे समाज में निराश की समस्या में काफी इजाफा हुआ है। यानि मां-बाप भी ज्यादा तनाव से जूझ रहे हैं। ऐसे में चिंता और निराशा की दिक्कत जीन्स के जरिए उनके बच्चों में आ जाती है।

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कॉलेज के कई स्टूडेंट्स को घर से बाहर पढ़ने पर घर की याद और घरवालों से अलग होना बार-बार परेशान करता है। ऐसे बच्चों में चिंता और डिप्रेशन जल्दी पनपने लगता है। इसके अलावा घर से दूर रह रहे स्टूडेंट को चिंता होती है कि अगर उनके मार्क्स अच्छे नहीं आए या फिर अगर उन्हें कॉलेज के बाद नौकरी नहीं मिली तो घरवाले क्या कहेंगे। या फिर कुछ बच्चों को इस बात कि फिक्र होती है कहीं उन्हें कॉलेज से निकलकर घर तो नहीं बैठना पड़ेगा।

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