यहां खेली जाती है 'जूते मार' होली, अंग्रेज लाट साहब की होती है पिटाई, निकाला जाता है जुलूस

Update:2017-03-14 15:12 IST

शाहजहांपुर: रंगों का त्योहार होली है और उसे मनाने के तरीके पूरे देश में अलग-अलग हैं। कहीं फूलों से होली खेली जाती है तो कहीं लठमार होली खेली जाती है, लेकिन सोमवार को शाहजहांपुर में एक अलग तरह की होली खेली गई। जी हां यहां 'जूते मार होली' खेली गई। इसके पीछे अंग्रेजों के प्रति अपना आक्रोश प्रकट करने की परंपरा है। इस दौरान एक भैंसा गाड़ी के साथ जुलूस नि‍काला जाता है। इसमें एक शख्स को अंग्रेज लाट साहब बनाकर जूतों से पीटा जाता है। इस जुलूस को लाट साहब का जुलूस कहा जाता है। इसमें पुलिस की कड़ी सुरक्षा-व्यवस्था भी की गई थी।

इस जुलूस में शामिल देवेंद्र कुमार ने बताया कि लाट साहब का जुलूस' निकालने की ये परंपरा सालों पुरानी है। चूंकि अंग्रेजों ने जो जुल्म हिन्दुस्तानियों पर किए हैं, वो दुख आज भी हर किसी के दिल में मौजूद हैं। यहां खास बात यह है कि लाट साहब के बदन पर एक भी कपड़ा नहीं होता, लेकिन जब यह जुलूस मेन रोड पर आता है तो लाट साहब को एक पन्नी की चादर से ढक दिया जाता है। इस जुलूस में हजारों की संख्या में हुड़दंगी जमकर हुड़दंग मचाते हैं।

पुलिस की निगरानी में होती है यह होली

देवेंद्र कुमार ने बताया कि ये हुड़दंगी अंग्रेजों के साथ-साथ पुलि‍स पर भी गंदी फब्तियां कसते हैं। हालात ऐसे होते हैं कि पुलिस वाले ये सब नजारा और फब्तियां सुनने को मजबूर होते हैं। वैसे तो किसी को सरेआम पीटना गैरकानूनी होता है लेकिन यहां किसी को जूते और झाड़ू से पीटने का ये पूरा खेल पुलिस की निगरानी में ही होता है। इसी के चलते इस बार शहर में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के लिए पुलिस अधिकारियों समेत लगभग 2000 पुलिसकर्मियों के अलावा रैपिड एक्शन फोर्स, सीआरपीएफ और पीएसी को तैनात किया गया।

बड़ी संख्या में आते हैं हुड़दंगी

जुलूस में मौजूद अमित की मानें तो इसमें बड़ी संख्या में हुड़दंगी आ जाते हैं जो शहर का माहौल खराब करने मे एक बड़ा रोल अदा करते हैं। धीरे-धीरे शराब के नशे में जिस रास्ते से जुलूस निकलता है उस रास्ते में पड़ने वाले दूसरे समुदायों के धर्मस्थलों पर रंग फेंकना और दूसरे समुदाय को अपशब्द बोलना ये एक बड़े बवाल को दावत देने के बराबर है।

दूसरे समुदाय के शख्स को बनाया जाता है 'लाट साहब'

उन्होंने बताया कि‍ पुरानी परंपरा होने के कारण जुलूस में जिस व्यक्ति को लाट साहब बनाया जाता है वह शख्स दूसरे समुदाय का होता है। इसके बदले में उसे बकायदा पैसे और कपड़े दिए जाते हैं। हालांकि इस परंपरा के खिलाफ हिंदू समुदाय के कुछ लोगों ने लोअर कोर्ट और हाईकोर्ट तक में इसे रोकने की अपील की थी लेकिन मामला एक परंपरा से जुड़ा होने के कारण इस पर रोक लगाने से मना कर दि‍या गया।

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