अंधविश्वास: मेढ़क बने दूल्हा-दूल्हन: बारिश के देवता को खुश करने की रस्म, धूमधाम से हुई शादी

त्रिपुरा में बारिश के देवता यानी वरुण देव को खुश करने की एक रस्म है, जो काफी धूमधाम से मनाई जाती है। इस रस्म में मेढ़कों की शादी कराई जाती है।

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Published By :  Vidushi Mishra
Update: 2021-05-06 05:12 GMT

त्रिपुरा में मेढ़कों की शादी(फोटो-सोशल मीडिया)

नई दिल्ली: त्रिपुरा से बड़ा ही रोचक किस्सा सामने आया है। यहां बारिश के देवता यानी वरुण देव को खुश करने की एक रस्म है, जो काफी धूमधाम से मनाई जाती है। इस रस्म में मेढ़कों की शादी कराई जाती है। ग्रामीणों का विश्वास है कि ऐसा करने से भारत के उत्तरपूर्वी क्षेत्र में सूखे से उत्पन्न हुई सारी परेशानी खत्म हो जाएगी।

ऐसे में इस रस्म के चलते मानसून की शुरुआत से पहले उत्तरपूर्वी क्षेत्र में मेढकों की पारंपरिक रूप से शादी कराई जाती है। जिससे जल्द ही बारिश हो और गांव वालों को सूखे से निजात मिले।

संपन्न हुई ये रस्म

साथ ही ये भी माना जाता है कि मेंढकों की शादी होने पर बारिश के देवता वरुण खुश होते हैं। इस रस्म में मेंढकों की इस शादी में ग्रामीणों ने उन्हें पारंपरिक कपड़े पहनाए और सभी रस्मों के साथ विवाह संपन्न कराया गया।

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस वीडियो में एक महिला ने दुल्हे को पकड़ रखा है और दूसरी ने दूल्हन को पकड़ रखा है। जिसमें दिखाई दे रहा है कि दूल्हन ने गुलाबी रंग के कपड़े पहने हैं और दूल्हे ने नारंगी रंग के पहने हुए हैं।

फिर हुआ जयमाल

शादी की इस रस्म के दौरान एक महिला दूल्हे को पकड़कर दूल्हन की मांग में सिंदूर भरती हुई दिखाई दे रही है। इस पारंपरिक शादी में तालाब में स्नान करने के बाद नई पोशाक पहनाने के साथ दो मेंढकों के बीच वरमाला की रस्म भी अदा की जाती है।

बता दें, ये पहली बार नहीं है कि भारत में मेंढकों का विवाह हुआ है। प्रत्येक वर्ष वरुण देव को प्रसन्न करने के लिए असम, त्रिपुरा, के अलावा कई राज्यों में मेढकों का विवाह कराया जाता है।

इससे पहले जुलाई 2019 में बारिश को देवता वरुण को खुश करने के लिए मध्य प्रदेश में मेंढकों की एक जोड़ी का विवाह कराया गया था। फिर उसके बाद लगातार बारिश इतनी तेज हो गई, कि बाद में बारिश को थामने के लिए उन मेंढकों का तलाक कराया गया था।

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