SP सिंबल विवाद: ...तो क्या नेताजी ने लिखी थी इस महाभारत की पूरी स्क्रिप्ट
लखनऊ: समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव के हो जाने के बाद ये सवाल राजनीतिक हलकों में तेजी से उठा कि क्या पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने चुनाव चिन्ह और झंडे के लिए चुनाव आयोग के समक्ष गंभीरता से अपनी बात नहीं रखी। जो बातें सामने आई उसका जवाब यही है कि हां, सच में नहीं रखा ।
जब मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव पार्टी के चुनाव चिन्ह और झंडे के लिए निर्वाचन आयोग के समक्ष गए थे तब सीएम ने अपने समर्थक विधायकों, सांसदों और पदाधिकारियों की पूरी सूची आयोग के सामने रखी थी। विधायकों और सांसदों के नाम के सामने उनके हस्ताक्षर भी थे, जिसे हलफनामे के तौर पर पेश किया गया था। इसके अलावा आयोग ने उनसे जो भी दस्तावेज मांगे वो दिए गए।
मुलायम ने बस सम्मेलन को बनाया मुद्दा
वहीं दूसरी तरफ, मुलायम सिंह ने अपने पक्ष में कोई दस्तावेज पेश नहीं किए। वो जानते थे कि पार्टी के विधायकों, सांसदों और पदाधिकारियों का समर्थन उनके साथ नहीं है। वो आयोग से मिलने जाते रहे और यही कहते रहे कि पिछले 1 जनवरी को हुआ राष्ट्रीय सम्मेलन गलत और पार्टी संविधान के विपरीत था। सम्मेलन बुलाने का अधिकार सिर्फ अध्यक्ष को होता है और सम्मेलन में आए प्रतिनिधियों ने सीएम अखिलेश को अध्यक्ष चुना। लिहाजा जब सम्मेलन ही गलत था तो उसमें लिए फैसले सही कैसे हो सकते हैं।
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आयोग के सामने नेताजी की दलील थोथी
इसके अलावा मुलायम सिंह यादव ने कोई दस्तावेज आयोग के सामने पेश नहीं किए। संभवत: वो जानते थे कि आयोग का निर्णय उनके पक्ष में नहीं जा सकता। वो अपनी बात जुबानी तौर पर आयोग के सामने रखते रहे, जो कोई मायने नहीं रखता। हालांकि चुनाव आयोग ने उनसे कहा था कि वो अपने समर्थक विधायकों, सांसदों और पदाधिकारियों की सूची हस्ताक्षर के साथ हलफनामे के रूप में दें।
अखिलेश गुट ने मजबूती से रखा पक्ष
दूसरी ओर, अखिलेश गुट पूरी तरह से मजबूत था। अखिलेश यादव ने आयोग के सामने कहा कि यदि जरूरत हुई तो वो सांसदों, विधायकों और पदाधिकारियों की परेड भी करा सकते हैं। इसके अलावा अखिलेश के समर्थक चाचा रामगोपाल यादव पूरे दस्तावेज के साथ आयोग के सामने गए थे। जो पार्टी पर अधिकार के लिए जरूरी होते हैं।
आयोग के सामने नहीं बचा था विकल्प
इसके बाद आयोग के सामने समाजवादी पार्टी का झंडा और चुनाच चिन्ह साइकिल अखिलेश को देने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था ।
नेताजी ने लिखी थी स्क्रिप्ट!
राजनीतिक हलकों में इस बात की जोरदार चर्चा है कि मुलायम सिंह पार्टी की सत्ता बेटे अखिलेश को देना चाहते थे। उन्होंने इसकी पटकथा पहले ही लिख दी थी। आयोग के सामने जाना भी उस पटकथा का ही हिस्सा था। वो खुद चाहते थे कि विधानसभा चुनाव के पहले सब उनके बेटे अखिलेश के हाथ में जाए। लेकिन इतने बड़े राजनीतिक परिवार में यह इतना आसान भी नहीं था। इसीलिए पार्टी में झगड़े, विवाद, रखने, निकालने का खेल महीनों चलता रहा।