गिनीज़ बुक रिकॉर्ड से एक कदम दूर हैं आज़म, लेकिन आसान नहीं है इस बार जीत की राह
आजम खान का दावा रहा है कि उन्हें घर घर जाकर अपना प्रचार करने की जरूरत नहीं है क्योंकि वो अपने विधानसभा क्षेत्र में इतना काम करा चुके हैं कि जनता उनके अलावा किसी और को चुन ही नहीं सकती। लेकिन इस बार वो त्रिकोणीय मुकाबले में फंसे हैं।
रामपुर: अपने विवादित बयानों से हमेशा चर्चा में रहने वाले समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और कद्दावर मंत्री आजम खान को रामपुर की सदर विधानसभा की सीट से लगातार नौवीं जीत दर्ज करने के लिए कडी मशक्कत करनी पड रही है। अगर वो जीते तो उनका नाम भी गिनीज बुक में दर्ज हो जाएगा। प्रतापगढ़ की रामपुर खास सीट से कांग्रेस के प्रमोद तिवारी लगातार नौ बार जीत कर अपना नाम गिनीज बुक में दर्ज करा चुके हैं।
आजम खान अबतक आसानी से जीत दर्ज करते रहे हैं। उनका दावा भी रहा है कि उन्हें घर घर जाकर अपना प्रचार करने की जरूरत नहीं है क्योंकि वो अपने विधानसभा क्षेत्र में इतना काम करा चुके हैं कि जनता उनके अलावा किसी और को चुन ही नहीं सकती। लेकिन इस बार वो त्रिकोणीय मुकाबले में फंसे हैं। रामपुर सदर की सीट पर बसपा ओर बीजेपी के प्रत्याशी उन्हें कडी टक्कर दे रहे हैं।
आसान नहीं है राह
आजम खान 8 बार इस सीट से जीत चुके हैं लेकिन इस बार उनकी राह आसान नहीं लग रही है। यदि वो जीते तो प्रमोद तिवारी के बराबर आ जायेंगे।
लेकिन, बीजेपी के शिव बहादुर सक्सेना और बसपा के तनवीर की मेहनत ने उनकी पेशानी पर बल ला दिए हैं। वो भले ये कहें कि उन्हें आसान जीत मिलेगी लेकिन अंदर से उन्हें भी घबराहट है। बसपा के तनवीर भी चूंकि मुस्लिम हैं इसलिए आजम को अल्पसंख्यक वोटों के बंटने का डर सता रहा है। बसपा प्रमुख मायावती लगातार मुसलमानों से वोट देने की अपील कर रही हैं। मायावती अपनी हर सभा में कहती हैं कि मुसलमान सपा को समर्थन कर अपना वोट बर्बाद नहीं करें। रामपुर सदर सीट पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 50 प्रतिशत है।
टिम्बर व्यापारी अफजल कहते हैं कि आजम के लिए इस बार मुश्किल पेश आ सकती है। जौहर विश्वविद्यालय के बनने के समय उनकी ज्यादतियां लोग भूले नहीं हैं। इसीलिए उन्हें इस बार घर घर जाकर प्रचार करना पड रहा है और लोगों से वोट देने की अपील करनी पड रही है। अफजल तो ये भी कहते हैं कि लोग हुई ज्यादती का बदला आजम से चुनाव में लेंगे।
रामपुर में दूसरे चरण में 15 फरवरी को मतदान होगा ।