बहराइच: दांव पर है दिग्गजों की प्रतिष्ठा, कहीं सीधे तो कहीं त्रिकोणीय समर में फंसे प्रत्याशी

सभी सात सीटों पर मुद्दों की राजनीति लगभग गायब हो गई है। जाति-धर्म और वर्गवाद की बयार बह रही है। इसके चलते राजनीतिक पंडितों को गुणा-गणित में भी मुश्किल आ रही है। जानकारों की मानें तो क्षेत्र के मुद्दे अचानक गायब होने से परिणाम चौंकाने वाले होंगे।

Update:2017-02-26 15:41 IST

बहराइच: चुनावी मैदान में योद्धाओं के लिये अपनी शक्ति दर्शाने का समय भी अब खत्म हो गया है। सोमवार को मतदाताओं के वोट से प्रत्याशियों की किस्मत ईवीएम में बंद हो जाएगी। 17वीं विधानसभा के लिए बहराइच में दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। कहीं आमने-सामने तो कहीं त्रिकोणीय संघर्ष के चलते प्रत्याशी और उनके समर्थक हलाकान हैं।

एक दिन बाद वोट डाले जाएंगे। ऐसे में किसकी प्रतिष्ठा बचेगी। इसको लेकर कयासों का दौर तेज हो गया है। लेकिन मतदाताओं की चुप्पी से राजीनीतिक खेमों में हलचल मची हुई है।

कड़ी टक्कर

सदर विधानसभा क्षेत्र में पूर्व मंत्री व पांच बार सदर सीट पर काबिज रहे डाक्टर वकार अहमद शाह के अस्वस्थ होने के चलते उनकी पत्नी रुबाब सईदा इस बार चुनाव मैदान में हैं। यहां पर उन्हें भाजपा की प्रत्याशी अनुपमा जायसवाल और बसपा के प्रत्याशी अजीत प्रताप सिंह से कड़ी टक्कर मिल रही है। हलांकि वह अपनी सीट बचाने के लिए हर जतन कर रही हैं।

मटेरा सीट पर कैबिनेट मंत्री यासर शाह की प्रतिष्ठा दांव पर है। वह सपा के टिकट पर दूसरी बार चुनाव मैदान में हैं। उन्हें भाजपा के अरुणवीर सिंह से कड़ा मुकाबला करना पड़ रहा है। बसपा उम्मीदवार सुल्तान खां के चुनाव मैदान में होने से धर्म और वर्ग की बयार यहां पर हावी दिख रही है।

नानपारा सीट पर बसपा के अब्दुल वहीद चुनाव मैदान में हैं। यहां से भाजपा की माधुरी वर्मा ताल ठोंक रही हैं। कांग्रेस से वारिस अली मैदान में हैं। भाजपा के एक बागी रालोद से चुनाव मैदान में डटे हैं। नानपारा कुर्मी बाहुल्य सीट है। रालोद प्रत्याशी की सेंधमारी के चलते भाजपा मुश्किल में दिख रही है। हालांकि राजनीतिक पंडित बसपा और भाजपा की आमने-सामने टक्कर मान रहे हैं।

बलहा विधानसभा सीट पर भाजपा के अक्षयवरलाल गोंड, बसपा की किरन भारती और सपा से राज्यमंत्री बंशीधर बौद्ध चुनाव मैदान में हैं। लेकिन यहां जातीय और धार्मिक समीकरण हावी होने के चलते बसपा और भाजपा में आमने-सामने की टक्कर होती दिख रही है। हालांकि, चुनावी बयार कब बदल जाए, कुछ कहा नहीं जा सकाता।

बाढ़ प्रभावित क्षेत्र महसी विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के टिकट से पूर्व विधायक सुरेश्वर सिंह मैदान में हैं।वहीं बसपा से केके ओझा और कांग्रेस के उम्मीदवार अली अकबर ताल ठोंक रहे हैं। क्षेत्र ब्राह्मण बाहुल्य है। मुस्लिमों की संख्या भी निर्णायक की भूमिका में है। इसके चलते अली अकबर के मैदान में आने के बाद जातीय समीकरण तेजी से बदले हैं। ऐसे में यहां पर भाजपा, बसपा की टक्कर मानी जा रही है। हालांकि अभी कुछ स्पष्ट नहीं कहा जा सकता।

पयागपुर विधानसभा क्षेत्र में वर्ष 2012 में मुकेश श्रीवास्तव कांग्रेस के टिकट से जीते थे। इस बार वह सपा के टिकट से चुनाव मैदान में हैं। भाजपा के सुभाष त्रिपाठी व बसपा के शेख मुशर्रफ ताल ठोंक रहे हैं। कांग्रेस-सपा संयुक्त गठबंधन के तहत कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार भगतराम के टिकट वापसी की घोषणा नामांकन के दिन की थी। समय निकल जाने के चलते यहां कांग्रेस के सिंबल पर भगतराम भी चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में ब्राह्मण बाहुल्य होने के बावजूद पयागपुर में चुनावी बयार अभी ठिठक नहीं सकी है। इसके चलते समीकरण चौंकाने वाले आ सकते हैं।

कैसरगंज विधानसभा क्षेत्र में बसपा के टिकट से खालिद खान चुनाव मैदान में हैं। जबकि भाजपा के टिकट से मुकुट बिहारी वर्मा और सपा से पूर्व विधायक रामतेज यादव चुनाव लड़ रहे हैं। यह क्षेत्र भी मुस्लिम बाहुल्य होने के चलते राजनीतिक पंडित खालिद का पलड़ा भारी मान रहे हैं। हालांकि कुर्मी भी निर्णायक भूमिका में हैं। ऐसे में रोमांचक मुकाबला होने की उम्मीद है।

मुद्दों की जगह जाति-धर्म

जिले की सभी सात सीटों पर मुद्दों की राजनीति लगभग गायब हो गई है। जाति-धर्म और वर्गवाद की बयार बह रही है। इसके चलते राजनीतिक पंडितों को गुणा-गणित में भी मुश्किल आ रही है। जानकारों की मानें तो क्षेत्र के मुद्दे अचानक गायब होने से परिणाम चौंकाने वाले होंगे।

बहराइच का जातीय आंकड़ा एक नजर में

दलित 20 प्रतिशत

मुस्लिम 31 प्रतिशत

ब्राह्मण 12 प्रतिशत

कुर्मी 11 प्रतिशत

यादव 8 प्रतिशत

क्षत्रिय 7 प्रतिशत

अन्य 11 प्रतिशत

आगे स्लाइड्स में जानिये किन उम्मीदवारों की प्रतिष्ठा है दांव पर...

अनुपमा जायसवाल

यासर शाह

वारिस अली

सुरेश्वर सिंह

सुल्तान खान

सुभाष त्रिपाठी

रुबाब सईदा

रामतेज यादव

मुकुट बिहारी वर्मा

मुकेश श्रीवास्तव

मोहम्मद मुशर्रफ

माधुरी वर्मा

कृष्ण कुमार ओझा

किरन भारती

खालिद खान

भगतराम मिश्रा

बंशीधर बौध

अरुणवीर सिंह

अली अकबर

अजीत प्रताप सिंह

अक्षयबर लाल गौर

अब्दुल वाहिद

 

 

 

 

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