गौतमबुद्ध नगर: 32 साल से कांग्रेस का सियासी वनवास जारी, क्या इस बार लहराएगी जीत की पताका?
नोएडा: '27 साल यूपी बेहाल' का नारा बुलंद करते हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पूरा जोर लगा रही है। तीनों विधानसभा सीटों पर टिकट मांगने वाले नेताओं की लंबी फेहरिस्त है। पार्टी उम्मीद लगाए बैठी है कि जिले में दशकों बाद सियासी वनवास समाप्त होगा। सपा के साथ गठबंधन की संभावना से प्रत्याशी उहापोह में हैं। सियासी गलियारे में चर्चा है कि 12 जनवरी के करीब पार्टी टिकट की घोषणा करेगी।
32 साल पहले दर्ज की थी जीत
राज्य के अलावा जिले में भी कांग्रेस को तीन दशकों से अधिक समय से मुंह की खानी पड़ रही है। जिले में तीन विधानसभा सीट नोएडा, दादरी व जेवर हैं। नए परिसीमन के बाद साल 2012 में नोएडा विधानसभा सीट बनी। इससे पहले यह दादरी विधानसभा सीट का हिस्सा हुआ करती थी। 2012 में हुए विधानसभा चुनाव और 2014 में हुए उपचुनाव में बीजेपी की जीत हुई। दादरी विधानसभा सीट पर आखिरी बार 37 वर्ष पूर्व 1980 में कांग्रेस के विजयपाल भाटी ने जीत दर्ज की थी। वहीं जेवर विधानसभा सीट पर 32 वर्ष पूर्व कांग्रेस के रतन स्वरूप राही ने 1984 में विजय पताका लहराया था। इसके बाद से कांग्रेस के उम्मीदवार जीत को तरस रहे हैं।
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संदेश व खाट सभा से मजबूत की पकड़
राजनीतिक रोटी सेंकने के लिए राहुल गांधी पिछले एक साल के दौरान दो बार जिले में आ चुके हैं। किसान यात्रा, राहुल संदेश यात्रा और खाट सभा के माध्यम से पकड़ मजबूत करने का प्रयास हुआ। चुनाव प्रबंधन दुरुस्त करने के लिए पार्टी ने इस बार कई टीम को लगाया था। पिछले कुछ माह पूर्व टीम के सदस्यों ने गांव व शहर में विभिन्न स्थानों का दौरा किया था। टीम ने अपनी गुप्त रिपोर्ट भेज दी थी।
पीके और राजबब्बर की पसंद अलग-अलग
प्रदेश नेतृत्व में बदलाव के बाद राजबब्बर को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। पार्टी नेताओं की मानें तो पीके टीम और राजबब्बर की पसंद अलग-अलग है। राजबब्बर अपने चहेतों को चुनाव लड़ाना चाहते हैं। इससे तनातनी बनी हुई है। साथ ही सपा से गठबंधन को लेकर भी अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं हो सका है। इससे उम्मीदवारों की स्थिति स्पष्ट नहीं हो सकी है।
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बिना टिकट मिले ठोक रहे उम्मीदवारी
जेवर से ठाकुर धीरेंद्र सिंह अब बीजेपी में शामिल हो चुके हैं। ऐसे में जो एक उम्मीद थी उस पर भी पानी फिर गया। इसका एक असर बीजेपी में देखने को मिला। जहां जेवर सीट को लेकर खींचातानी जारी है। वहीं, धीरेंद्र के जाने के बाद अजीत दौला, मनोज चौधरी, योगेश्वर राज नागर टिकट चाहने वालों की कतार में हैं। बिना टिकट मिले ही नेताओं ने अपने-अपने स्तर से प्रचार भी शुरू कर दिया है। पार्टी से नेताओं को उम्मीद है कि सपा से गठबंधन होगा। ऐसा होने पर पार्टी 32 साल बाद जिले में जीत का झंडा लहर सकती है। गठबंधन की संभावनाओं के बीच पार्टी के नेता उहापोह में हैं।