अतीक अहमद बोले- अभी कई इम्तिहानों से नहीं गुजरे हैं अखिलेश, लेकिन 'बच्चा' नहीं हैं CM
अतीक अहमद ने कहा कि नेताजी ने खुद बहुत से इम्तिहान दिये हैं, लेकिन अखिलेश यादव अभी बहुत से इम्तिहानों से नहीं गुजरे हैं। ऐसे में, जब लोग नेताजी से जाकर कहते हैं कि अखिलेश बच्चे हैं, समझते नहीं तो पिता को लगता है कि गलत हो रहा है।
कानपुर: बाहुबली समाजवादी प्रत्याशी अतीक अहमद ने कहा है कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव बच्चा नहीं हैं, हालांकि वह बहुत से इम्तिहानों से नहीं गुजरे हैं। उन्होंने कहा कि लोग उनके पिता से जाकर उन्हें बच्चा और नासमझ बताते हैं, जबकि अखिलेश यादव खुद को परिपक्व और अच्छा काम करने वाला कामयाब मुख्यमंत्री मानते हैं। विवाद यहीं से शुरू होता है।
अभी और हैं इम्तिहान
-अतीक अहमद ने कहा कि नेताजी ने खुद बहुत से इम्तिहान दिये हैं, लेकिन अखिलेश यादव अभी बहुत से इम्तिहानों से नहीं गुजरे हैं।
-ऐसे में, जब लोग नेताजी से जाकर कहते हैं कि अखिलेश बच्चे हैं, समझते नहीं तो पिता को लगता है कि गलत हो रहा है।
-अतीक अहमद ने कहा कि बाप की दिक्कत होती है कि वह सारी जिंदगी बेटे को बच्चा समझता है, और बच्चों के बाप को लगता है कि वह बड़ा हो गया है। कामयाब मुख्यमंत्री है।
-सपा में अंतर्कलह और चुनाव चिह्न की लड़ाई पर अतीक अहमद ने कहा कि यह लड़ाई मेरे नेता और मेरी पसंद के मुख्यमंत्री के बीच हो गई, जो दुर्भाग्यपूर्ण है।
सबके उम्मीदवार
-अतीक अहमद ने कहा कि मैं पार्टी बनाने की स्थिति में था लेकिन पार्टी नही बनाई। मुलायम सिंह हमारे करीबी है और हम पार्टी बनाकर वोट का बंटवारा नही चाहते।
-अतीक अहमद ने कहा कि उनके नाम पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सहमति है, वरना वह कैंट विधानसभा से नाम घोषित कर देते।
-उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव ने किसी का नाम डिक्लेयर नही किया है और मुलायम सिंह ने मुझे भेजा है।
-उन्होंने कहा कि यह विवाद चीफ सेक्रेटरी को लेकर हुआ था, और मुख्यमंत्री अपनी पसंद का सीएस नहीं रख पाएगा तो कैसे काम करेगा। मैं उसूलन अखिलेश के साथ हूं।
लड़ने का संवैधानिक अधिकार
-बाहरी के सवाल पर उन्होंने कहा कि जैसे मुरली मनोहर जोशी को अपना लिया, वैसे ही मुझे भी अपना लो।
-सीएम अखिलेश के अधिवेशन में 200 विधायकों के पहुंचने की बात पर उन्होंने कहा कि किसके पास कितने विधायक पहुंचे इसका कोई मतलब नहीं।
-एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि जनता ने मुझे बार-बार विधायक और सांसद बनाया। अदालत और निर्वाचन आयोग ने मुझे अनुमति दी। संविधान मुझे चुनाव लड़ने का अधिकार देता है, क्या इन बातों को झुठलाया जा सकता है।
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