मतदाता सूची में भी पिता से आगे पुत्र, 1986 अखिलेश यादव के मुकाबले महज 326 मुलायम सिंह
अपने संसदीय क्षेत्र आजमगढ़ में मुलायम सिंह के हमनाम सिर्फ 6 लोग मिले, तो 330 लोगों का नाम अखिलेश यादव मिला। दिलचस्प तथ्य तो यह है कि मुलायम सिंह की जन्म और कर्मस्थली इटावा में मुलायम सिंह या अखिलेश यादव नाम वाला एक भी मतदाता नहीं है।
आगरा: इस दावे की परीक्षा अभी बाकी है कि अधिकांश सांसदों, विधायकों और कार्यकर्ताओं के समर्थन के मामले में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने पिता मुलायमम सिंह को पीछे छोड़ दिया है, लेकिन यह तय हो गया है कि मतदाता सूची में हमनामों के मामले में अखिलेश यादव अपने पिता मुलायम सिंह से बहुत आगे निकल गए हैं।
मुलायम से आगे अखिलेश
-राजनीतिक शह-मात से अलग, मतदाता सूची में नामों की बात करें, तो पुत्र अखिलेश यादव ने पिता मुलायम सिंह को पीछे छोड़ दिया है।
-उत्तर प्रदेश चुनाव आयोग के अनुसार मतदाता सूची में अखिलेश यादव के हमनामों की संख्या 1,986 है।
-जबकि पिता मुलायम सिंह यादव के नाम वालों की संख्या महज 326 पाई गई।
ज्न्मस्थली में न पिता, न पुत्र
-अखिलेश ने पिता मुलायम सिंह की संसदीय सीट आजम गढ़ में भी उन्हें पीछे छोड़ दिया।
-आजमगढ़ जिले की मतदाता सूची में मुलायम सिंह नाम के सिर्फ 6 लोग मिले, तो 330 लोगों का नाम अखिलेश यादव मिला।
-सबसे दिलचस्प तथ्य तो यह है कि मुलायम सिंह की जन्म और कर्मस्थली इटावा की मतदाता सूची में मुलायम सिंह या अखिलेश यादव का हमनाम एक भी मतदाता नहीं है।
-चुनाव आयोग के मुताबिक जहां अखिलेश यादव नाम के मतदाताओं की सबसे अधिक संख्या 330 आजमगढ़ में है, वहीँ गाजीपुर में 116, जौनपुर में 113, बलिया में 108, लखनऊ में 106 और गोरखपुर में 102 मतदाता अखिलेश यादव के हमनाम हैं।
-मुलायम सिंह यादव नाम के मतदाताओं की सबसे ज्यादा संख्या इलाहाबाद में है, जो सिर्फ 43 है।
-मुलायम सिंह नाम वाले मतदता लखनऊ में 41, प्रतापगढ़ में 34, बाराबंकी में 30, कानपुर नगर में 24 और भदोही में महज 14 पाए गए।
कई जिलों से गायब
-मुलायम सिंह और अखिलेश यादव के मुख्यमंत्रित्व में लंबे समय तक रहे उत्तर प्रदेश के कई जिलों- अमेठी, औरैया, बागपत, शाहजहांपुर, बुलंदशहर, मथुरा, मेरठ, मुजफ्फरनगर, शाहजहांपुर, अमरोहा, बिजनौर, हापुड़ और शामली में एक भी मतदाता मुलायम सिंह या अखिलेश यादव नाम का नहीं है।
-सूची की चर्चा से अलग, आगरा के एक रिक्शा चालक मुलायम सिंह का कहना है कि पिता की विरासत पर हक़ तो पुत्र का ही होता है, लेकिन पिता को गद्दी से उतारकर उस पर खुद काबिज होना गलत है।
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