HC ने EC से पूछा- UP में कब होंगे चुनाव, क्या कोई प्रस्ताव तैयार किया है ?

यूपी में असेंबली चुनावेां के समय को लेकर मची उहापोह के बीच हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने केंद्रीय चुनाव आयोग से पूछा है कि क्या सूबे में विधानसभा चुनावों की कोई तारीखें तय की गई हैं या फिर इस संबध में कोई प्रस्ताव तैयार किया गया है।

Update:2016-12-17 19:15 IST
हाईकोर्ट ने पूछा- काम बौद्ध धर्म से जुड़ी चीजों के अध्ययन का, तो इतनी शानोशौकत क्यों?

लखनऊ: यूपी में असेंबली चुनावों के समय को लेकर मची उहापोह के बीच हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने केंद्रीय चुनाव आयोग से पूछा है कि क्या सूबे में विधानसभा चुनावों की कोई तारीखें तय की गई हैं या फिर इस संबध में कोई प्रस्ताव तैयार किया गया है। कोर्ट ने चुनाव आयोग को इस बाबत 22 दिसंबर को जवाब देने का आदेश दिया है। कोर्ट के दखल के बाद अब सभी की निगाहें चुनाव आयोग के जवाब पर टिक गई हैं। यह आदेश जस्टिस ए पी साही और जस्टिस उमेश चंद्र पांडे की बेंच ने प्रतिमा पांडे की याचिका पर पारित किया।

याचिका में क्या मांग की गई थी ?

-याचिका में मांग की गई थी कि आगामी असेंबली चुनाव फरवरी मार्च में न कराकर अप्रैल मई में कराए जाएं।

-ऐसा इसलिए क्योंकि जनवरी से लेकर फरवरी के बीच कड़ाके की ठंड पड़ती है और मार्च में यूपी बोर्ड की परीक्षाओं का समय रहता है।

-याचिका में कहा गया कि ऐसा प्रतीत होता है कि चुनाव आयेाग फरवरी-मार्च में ही चुनाव करवाने की मंशा रखता है।

-इसलिए उसने यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडियट की परीक्षा का कार्यक्रम रद्द कर दिया है।

-आयोग ने यूपी बोर्ड से कहा है कि परीक्षाओं की तिथि उससे विचार विमर्श के बाद ही घोषित की जाए।

याची की ओर से क्या तर्क दिया गया ?

याची की ओर से वकील अशोक पांडे का तर्क था कि जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा-15 के तहत चुनाव आयेाग को मौजूदा असेंबली का कार्यकाल पूरा होने से 06 महीने पहले चूनाव कराने का अधिकार है, लेकिन आयेाग को इस शक्ति का प्रयोग उचित प्रकार से करना चाहिए।

वकील का तर्क था कि असेंबली चुनावों में बड़ी संख्या में आम लोग अपने मताधिकार का प्रयोग करते हैं और आमतौर पर देखा गया है कि अधिक ठंड में चुनाव होने पर कम लोग अपने मताधिकार का प्रयोग करते हैं।

इसके साथ ही कैंडिडेट्स को भी कैंपेनिंग करने में काफी दिक्कत होती है। तर्क दिया गया कि आयेाग को चुनाव में अधिक से अधिक लोगों की भागीदारी सुनिश्चित कराने हेतु चुनाव अप्रैल मई में ही कराने चाहिए। यह तर्क भी दिया गया कि आयोग को कोई जल्दी नहीं करनी चाहिए।

चुनाव आयोग के वकील ने मांगा समय

याचिका पर सुनवाई के समय चुनाव आयेाग के वकील ने इस संबध में आयेाग से समुचित जानकारी लेने के लिए समय की मांग की। जिसे कोर्ट ने प्रदान कर दिया।

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