हजारों वादे करना तो बस वोट बैंक भरने का फंडा, चुनाव के बाद वादे गए भूल, बिजली हो गई गुल
चुनाव का समय ऐसा होता है जब सभी लोग और खासकर गांववाले चैन की सांस लेते हैं। ऐसा इसलिए नहीं की अब वो अपने और प्रदेश की तरक्की और विकास के लिए अच्छी सरकार चुनेंगे।
मेरठ: चुनाव का समय ऐसा होता है जब सभी लोग और खासकर गांववाले चैन की सांस लेते हैं। ऐसा इसलिए नहीं की अब वो अपने और प्रदेश की तरक्की और विकास के लिए अच्छी सरकार चुनेंगे। बल्कि इसलिए क्योंकि ऐसा वक़्त पांच साल बाद ही आता है जब इनकी ज़रूरतों पर ध्यान दिया जता है। चुनाव के समय तो सभी पार्टियां बड़े-बड़े दावे करती है की बिजली देंगे ,पानी देंगे।मगर जैसे ही चुनाव खत्म होता है। उनके सभी दावे मनो हवा में उड़ जाते हैं।
मेरठ में सभी लोगों को उम्मीद थी कि कम से कम 11 फरवरी तक तो लोगों को सरकार की ओर से लोगों को अच्छी बिजली मुहैया कराई जाएगी। लेकिन ऐसा नही हुआ। बिजली कटौती की वजह से लोगों के हाल बेहाल हो गए। चुनावी माहौल खत्म होते ही जितनी बिजली आ रही थी, वो भी गुल हो गई।
चुनाव के 2 महीने पहले याद आते हैं सारे वादें
-चुनाव से करीब दो माह पहले से गांवों में वोटरों को लुभाने के लिए बिजली आपूर्ती को कुछ हद तक बढ़ाया गया था।
-चुनाव के समय पिछले कई महीनों से शहर और देहात को अच्छी आपूर्ति मिल रही थी।
- मगर जनपद में चुनाव खत्म होते ही फिर से लोगों को बिजली की चिंता सताने लगी है। अब फिर से बिजली की जमकर कटौती हो रही है।
क्या कहते हैं लोग
-गृहणी मोनी का कहना है कि जब अभी से यहीं हाल है तो आने वाले दिनों को लेकर तो चिंता लाजमी है। अभी की हालत देख कर ऐसा लगता है की इस बार बिजली के कारण उन्हें बहुत अधिक परेशानी झेलनी पड़ सकती है ।
-दुकानदार राजकुमार का कहना है कि चुनाव से पहले तो लोगों को अच्छी खासी बिजली देकर लालच दिया गया। लेकिन चुनाव होते ही बिजली गायब सी हो गई है। चुनाव के बाद 4 से 5 घंटे बिजली गुल हो रही है।