संजय तिवारी
लखनऊ: बदलती राजनीतिक बयार को भांपकर उसकी धारा में बह जाने वाले कुछ प्रशासनिक अधिकारियों ने अपनी चाल बदलनी शुरू कर दी है। राजधानी में बैठे कुछ आला अधिकारी अब जितना समय मुख्यमंत्री अखिलेश के दरबार में गुजार रहे हैं उतना ही वक्त बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के साथ भी गुजार रहे हैं। यह काम तब शुरू किया गया है जब प्रदेश में दो चरणों के चुनाव का मतदान होना बाकी है। ऐसे में इस बात की कयासबाजी शुरू हो गई कि क्या अफसरों को बसपा के सत्ता में आने की आहट मिल रही है?
प्रशासनिक आला अधिकारी जो अब तक बसपा को उपेक्षित तौर पर देख रहे थे लेकिन उन्हें ये लगने लगा है कि यूपी में मायावती की सरकार आ सकती है वो अपनी गोटियां बिछाने में जुट गए हैं।
धूलमुक्त होने लगा आंबेडकर पार्क
पिछले पांच साल से धूल फांक रहे मायावती के स्मारक और पत्थर के हाथी अचानक चमकाए जा रहे हैं। लखनऊ के आंबेडकर पार्क के पत्थर धूलमुक्त किए जा रहे हैं। यूपी के प्रशासनिक अमले को अचानक इन पत्थरों की सफाई का धुन सवार हो गया है।
अचानक हाथियों की कैसे आई याद?
समझ में किसी को नहीं आ रहा कि नौकरशाही को अचानक मायावती के स्मारक और उनके उन हाथियों की कैसे याद आ गई, जिनको लेकर सीएम अखिलेश यादव हमेशा ही मजाक करते रहे हैं। अखिलेश कहा करते हैं कि 'देखिए बुआजी के हाथी खड़े हैं तो खड़े ही हैं।'
लौट रही है बसपा सरकार!
दरअसल, प्रदेश के प्रशासनिक अमले को लगने लगा है कि उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) शायद सत्ता में वापसी कर रही है। हालांकि अभी दो चरणों के चुनाव बाकी हैं। लेकिन अभी से मायावती को खुश करने की कवायद शुरू हो गई है। गौरतलब है कि बहन जी के राज में बने इन पार्कों की अखिलेश सरकार ने कोई सुध नहीं ली। लेकिन अब करोड़ों रुपए खर्च कर फिर से पार्कों को चमकाया जा रहा है।
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अचानक ली जाने लगी सुध से सब स्तब्ध
मायावती सरकार में बनाए गए कई स्मारकों में गेट लगाए गए थे। इनमें से कई टूटे पड़े थे। अब तक इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं था। लेकिन अब अचानक इनकी भी मरम्मत होनी शुरू हो गई है। मायावती राज आएगा कि नहीं, इस सवाल का जवाब तो 11 मार्च को मिलेगा, लेकिन अधिकारियों को न जाने क्यूं डर सताने लगा है और चार साल से बेसुध पड़े स्मारकों का खयाल उन्हें अचानक से आ गया। इसी के तहत पानी के लिए एक करोड़ की प्लम्बरिंग का सामान आ चुका है। गेट और प्लंबरिंग का काम स्मारक समिति की ओर से किया जा रहा है।
प्रशासन बता रहा रूटीन कार्य
प्रशासनिक सूत्र बता रहे हैं कि इन सभी कामों को 11 मार्च से पहले पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। आला अधिकारी जल्दी काम पूरा करने का दबाव बनाए हुए हैं। हालांकि वहीं संबंधित अधिकारियों का कहना है कि ये रूटीन कार्य है। बजट जारी करने में देरी हुई थी, जिसके चलते काम देर से शुरू हुआ है।
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