गोरखपुर-बस्ती मंडलः बसपा की राह में रोड़ा बन सकते हैं, ये निकाले गए विधायक

बसपा दलित और मुस्लिम वोटों पर ज्यादा भरोसा कर रही है। पिछली बार 2012 के चुनाव में थिंक टैंको का सोशल इंजीनियरिंग वाला फार्मूला कारगर साबित नहीं हुआ था।

Update: 2017-01-17 08:22 GMT

गोरखपुरः चुनाव सिर पर हैं और दलबदलूओं से कोई पार्टी अगर ज्यादा प्रभावित रही तो वह बसपा है। परम्परागत दलित और मुस्लिम वोटों के भरोसे चलने वाली बसपा को पिछले विधानसभा चुनाव में गोरखपुर-बस्ती मंडल में काफी नुकसान उठाना पड़ा था। सत्ता में रहने के बावजूद बसपा सत्ता नहीं बचा पाई थी। चुनावी नतीजों में उसे 7 सीटों से हाथ धोना पड़ा। बसपा की उक्त सीटों को सपा, कांग्रेस, एनसीपी और पीस पार्टी ने बांटा था। बता दें कि इसबार गोरखपुर में 4 मार्च को छठवें चरण में मतदान होंगे।

इस बार रिस्क नहीं लेना चाहती है बसपा

बता दें कि साल 2007 के विधानसभा चुनाव में 15 सीटें जीतने वाली बसपा 2012 में 8 सीटों पर सिमट गई थी। लेकिन एक बात गौरतलब है कि करीब 15 से 16 ऐसी सीटें थी, जहां पर वह दूसरे पोजिशन पर थी। इस हार को देखकर पार्टी इस बार कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है। अब बसपा केवल जिताउ उम्मीदवारों पर ही दांव लगा रही है। घोषित उम्मीदवारों पर पैनी निगाह भी रख रही है। कमजोर नजर आने वाले उम्मीदवारों को बदलने में देर भी नहीं कर रही है।

ये नेता कर सकते हैं प्रभावित

बसपा दलित और मुस्लिम वोटों पर ज्यादा भरोसा कर रही है। पिछली बार 2012 के चुनाव में थिंक टैंको का सोशल इंजीनियरिंग वाला फार्मूला कारगर साबित नहीं हुआ था। गोरखुपर-बस्ती मंडली की 41 सीटों पर बसपा की राह आसान नहीं है। पार्टी के कद्दावर नेता और पडरौना के विधायक स्वामी प्रसाद मौर्य बीजेपी में चले गए है। मौर्या बिरादारी में ठीक-ठाक पकड़ रखने वाले स्वामी प्रसाद हर जगह पार्टी सुप्रीमों पर टिकट नीलाम करने का आरोप लगाते नजर आए। इस क्षेत्र में वह अपनी बिरादरी के वोटों और अन्य बिरादरी के वोटों को प्रभावित करने कुछ हद तक सक्षम हैं। वहीं चिल्लूपार के विधायक राजेश त्रिपाठी और गोरखपुर ग्रामीण से चुनाव लड़ने वाले राभुआल निषाद भी भाजपा का दामन थाम चुके हैं।

कई सीटों पर बदले जा सकते हैं उम्मीदवार

हालांकि बसपा ने कई सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। कई सीटों पर उम्मीदवार बदल भी दिए हैं और कई सीटों पर उम्मीदवार बदले भी जा सकते हैं। बसपा तमाम तरह के बदलाव के लिए मशहूर है। ऐसे में बसपा से निष्कासित लोग ही पार्टी के लिए रोड़ा बन सकते हैं। कहावत है कि घर का भेदी लंका ढावें।

साल 2012 के चुनाव में बसपा से जीते उम्मीदवार

-पडरौना में स्वामी प्रसाद मौर्य (पार्टी से बाहर)

-चिल्लूपार में राजेश त्रिपाठी (पार्टी से बाहर)

-बांसगांव में डा. विजय कुमार

-चौरी चौरा में जय प्रकाश निषाद

-पनियरा में जीएम सिंह

-बस्ती सदर जीतेंद्र कुमार चौधरी

-सहजनवां राजेन्द्र सिंह

-कप्तानगंज राम प्रसाद चौधरी

 

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