बहराइच: BJP का खत्म हुआ 23 साल का वनवास, एक बार फिर खिला कमल

यूपी में हुए विधानसभा चुनाव में सदर सीट पर दिलचस्प मुकाबले देखने को मिला। जिले की बहराइच सदर विधानसभा सीट समाजवादी पार्टी के लिए काफी महत्व रखती थी। इस सीट को सपा पार्टी का अभेद किला माना जाता था।

Update: 2017-03-11 14:41 GMT

बहराइच : यूपी में हुए विधानसभा चुनाव में सदर सीट पर दिलचस्प मुकाबले देखने को मिला। जिले की बहराइच सदर विधानसभा सीट समाजवादी पार्टी के लिए काफी महत्व रखती थी। इस सीट को सपा पार्टी का अभेद किला माना जाता था।

पार्टी ने इस बार अह मद शाहकी पत्नी और पूर्व सांसद रुवाब सईदा को टिकट दिया था। वो पार्टी के इस अभेद दुर्ग व पति की विरासत बचाने में नाकाम रही। इस सीट पर बीजेपी ने 6,707 वोटों से केसरिया रंग का परचम लहरा दिया।

स्वास्थ्य खराब के कारण हुए मैदान से बाहर

-इस सीट पर 23 सालों से लगातार समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता डा वकार अहमद शाह का कब्जा था।

-लेकिन इस चुनाव में स्वास्थ्य खराब होने के कारण वकार अहमद शाह चुनाव मैदान से बाहर थे।

-जिले की सदर विधानसभा सीट पर 1993 में सपा-बसपा गठबंधन के रूप में उतरे वकार अहमद शाह ने पहली बार जीत दर्ज की।

-उसके बाद से अपने राजनैतिक कौशल और मिलनसार स्वभाव के कारण उसके बाद उन्होंने पलट कर पीछे नही देखा।

-23 सालों से वो लगातार इस सीट से विधायक थे।

आगे की स्लाइड्स में जानें बीजेपी का 23 साल का वनवास कैसे हुआ खत्म...

दो बार सपा सरकार के रहे कैबिनेट मंत्री

-देखते ही देखते वो सपा के कद्दावर नेता के रूप में स्थापित हो गए।

-सपा प्रमुख मुलायम सिंह के खास लोगों में उनकी गिनती होने लगी।

-यूपी में उनके रसूख का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वो दो बार सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री होने के साथ ही उन्होंने विधानसभा उपाध्यक्ष व कार्यवाहक विधानसभा अध्यक्ष का भी पद संभाला।

23 सालों का सालों का खत्म किया वनवास

-साल 2012 के विधानसभा चुनाव के एक साल के बाद उनका स्वास्थ्य खराब हो गया।

-जिसके बाद से वो लगातार अस्पताल में भर्ती है।

-इस बार पार्टी ने उनकी नामौजूदगी में उनकी पत्नी और पूर्व सांसद रुवाब सईदा को इस दुर्ग को बचाने के लिए सदर सीट से प्रत्याषी बनाया था।

-मगर इस बार केवल सदर सीट की नहीं बल्कि जनपद की 6 सीटों पर केसरिया परचम लहराया और ये सीट बीजेपी की प्रत्याशी अनुपमा जायसवाल ने 6,707 वोटों से जीत हासिल कर 23 सालों का वनवास खत्म कर दिया।

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