बंद होगी सिटी बस: संचालन पर रोक पड़ेगी महंगी, 357 करोड़ का होगा नुकसान

नोएडा मेट्रो रेल कारपोरेशन (एनएमआरसी) की सिटी बस संचालन बंद हुआ तो 357 करोड़ रुपये प्रबंधन को संचालन कंपनी एम्पायर ट्रांसपोर्ट सर्विस लिमिटेड को चुकाने होंगे।

Update: 2020-09-14 16:29 GMT

नोएडा। नोएडा मेट्रो रेल कारपोरेशन (एनएमआरसी) की सिटी बस संचालन बंद हुआ तो 357 करोड़ रुपये प्रबंधन को संचालन कंपनी एम्पायर ट्रांसपोर्ट सर्विस लिमिटेड को चुकाने होंगे। यह रकम ट्रिब्यूनल इलाहबाद ने पब्लिक इंट्रेस में निर्धारित कर जुलाई को नोटिस एनएमआरसी प्रबंधन को भेजा है। हालांकि एनएमआरसी के कार्यकारी निदेशक प्रवीन कुमार मिश्र का कहना है कि अभी तक मेरे पास ट्रिब्यूनल का कोई भी नोटिस नहीं आया है।

कंपनी ने 357 करोड़ क्लेम के लिए ट्रिब्यूनल इलाहबाद में डाली याचिका

बता दें कि इतनी भारी भरकम रकम एनएमआरसी प्रबंधन की ओर से आठ करोड़ रुपये का भुगतान संचालन कंपनी को नहीं करने के कारण बनी है। एनएमआरसी अधिकारियों ने यदि नवंबर 2019 से मार्च 2020 तक भुगतान संचालन कंपनी को कर दिया होता तो एनएमआरसी पर कर्ज नहीं बढ़ता, लेकिन अधिकारियों ने अनुबंध शर्त का खुद जमकर उल्लघंन किया।

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जबकि उन्हें भलीभांत मामूल था कि अनुबंध में प्रत्येक सात दिन में भुगतान करने का प्रावधान शामिल है, नहीं करने पर प्रतिदिन नौ फीसद का ब्याज लगाने का नियम है। फिर भी जानबूझ कर यह कार्य किया गया, हालांकि संचालन कंपनी ने कोविड 19 से पहले का बकाया भुगतान आठ करोड़ रुपये का मामला ही अभी ट्रिब्यूनल इलाहाबाद के समक्ष लेकर गई है।

70 : 30 की वायवेल गैप फंडिग

सूत्रों का कहना है कि सिटी बस संचालन में अनुबंध नियम शर्तो के अनुसार वायवेल गैप फंडिग (वीजीएफ) नोएडा-ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को 70 : 30 के अनुपात में करना था। अनुबंध के आधार पर 100 बसों के संचालन पर 1100 करोड़ रुपये वीजीएफ अनुमानित रखा गया लेकिन अनुबंध के बाद योजना में 50 बस का संचालन हुआ। इसलिए वीजीएफ 550 करोड़ रुपये रह गया। प्रतिवर्ष 50 से 55 करोड़ रुपये अनुमानित वीजीएफ रह गया। प्रतिमाह बस संचालन की बिलिग तीन करोड़ रुपये रही, यानी एक वर्ष में 36 करोड़ रुपये, जिसका वीजीएफ 14 से 19 करोड़ रुपये अनुमानित रहा।

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ऐसे में नोएडा प्राधिकरण पर प्रति वर्ष 10 से 13 करोड़ रुपये और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पर चार से छह करोड़ रुपये वीजीएफ का भार आ रहा था लेकिन तैनात अधिकारियों ने दोनो प्राधिकरण से रकम नहीं आने का हवाला देकर चयन सिटी बस संचालन कंपनी का भुगतान रोका।

उच्चाधिकारियों को किया गया गुमराह

सूत्र का कहना है कि एनएमआरसी में तैनात अधिकारियों ने अपनी कमियों और लापरवाही को छिपाने के लिए चयनित सिटी बस संचालन कंपनी की गलत फीडिग उच्चाधिकारियों से की, उसे ब्लैक लिस्ट करने का आश्वासन दिया। तत्कालीन ओएसडी ने जनवरी 2020 में 40 नोटिस जारी किये, लेकिन चयनित कंपनी के जवाब को पलट नहीं सके। इसी दौरान एम्पायर ट्रांसपोर्ट सर्विस लिमिटेड के महाप्रबंधक करतार सिह ने बताया कि नवंबर 2019 से मार्च 2020 तक आठ करोड़ रुपये का भुगतान रोका गया। चयनित कंपनी ने उच्चाधिकारियों को तमाम गंभीर आरोपों के साथ मार्च 2020 में लिखित रूप से अवगत भी कराया है।

रिपोर्टर- दीपांकर जैन

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