जीरो बजट कृषि क्रांति: एक गाय से ही प्राकृतिक खेती संभव- सुभाष पालेकर

रासायिनक उर्वरकों और कीटनाशक दवाईयों के इस्तेमाल से भारत अपनी ऊपजाऊ जमीनों की उर्वरा शक्ति खोता गया। और हरित क्रांति एवं जैविक खेती से अन्नपूर्णा का दो

Update:2017-12-19 20:58 IST
जीरो बजट कृषि क्रांति: एक गाय से ही प्राकृतिक खेती संभव- सुभाष पालेकर

लखनऊ: रासायिनक उर्वरकों और कीटनाशक दवाईयों के इस्तेमाल से भारत अपनी ऊपजाऊ जमीनों की उर्वरा शक्ति खोता गया। और हरित क्रांति एवं जैविक खेती से अन्नपूर्णा का दोहन हुआ है। इसी का नतीजा है दूषित खाद्य सामग्री से संक्रमण का खतरा, खेती से किसानों का पलायन और पर्यावरण प्रदूषण।अगर इससे बचना है तो हमें शून्य लागत(जीरो बजट) प्राकृतिक खेती की तरफ रुख करना होगा। यह बातें 19दिसंबर (मंगलवार) को नवल किशोर रोड हजरतगंज स्थित लोकभारती कार्यालय में पद्मश्री सुभाष पालेकर ने नई कृषि क्रांति के संदर्भ में हुई प्रेसवार्ता के दौरान कही।

जीरो बजट कृषि क्रांति: एक गाय से ही प्राकृतिक खेती संभव- सुभाष पालेकर

छह दिवसीय शिविर का आयोजन

सुभाष पालेकर ने बताया प्राकृतिक खेती के गुर सिखाने के लिए बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय में छह दिवसीय शिविर का आयोजन होने जा रहा है। इसमें शून्य लागत(जीरो बजट) प्राकृतिक खेती के लिए देशी गोपालक कृषकों को प्रशिक्षण मिलेगा।पालेकर ने बताया अभी तक दिल्ली के आईसीआर(इंडियन काउंसिल ऑफ रिसर्च इंस्टीट्यूट) के पास भी ऐसी कोई पद्धति नहीं है, जिसमें उर्वरकों व रासायनिक पदार्थों का इस्तेमाल न किया जाए। फिलहाल, कृषि मंत्रालय ने इसे पंडित दीनदयाल उपाध्याय उन्नत कृषि योजना से जोड़ा है। इसमें 100 केंद्रों पर प्राकृतिक पद्धति से खेती के पाठ्यक्रम को शामिल किया है। 20 दिसंबर से शुरू होने जा रहे शिविर में देशभर से लगभग 1500 से अधिक गौपालक शामिल होंगे और प्रशिक्षण लेंगे।

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जहर मुक्त प्राकृतिक खेती की मुख्य विशेषताएं

प्राकृतिक खेती में हाइब्रिड बीज को देशी बीज में परिवर्तित किया जाएगा। बिजली और पानी का मात्र 10 फीसदी ही इस्तेमाल होगा। पौधे के लिए जरूरी अधिकांश पानी हवा में उपस्थित नमी से पूरा होगा। जहर मुक्त खेती होगी।

किसानों को छह दिन के शिविर में मिलने वाले गुर

-शिविर के पहले दिन किसानों को समस्या से परिचित कराते हुए समाधान मिलेगा।

-दूसरे दिन भूमि को बलवान बनाने का तरीका सिखाया जाएगा।

-तीसरे दिन फसल बलवान करने के लिए जल, भूमि और पर्यावरण के इस्तेमाल के गुर सिखाये जाएंगे।

-चौथे दिन केचुएं के निर्माण और बिजली व पानी की बचत बताई जाएगी।

-पांचवे दिन फसल सुरक्षा के मानक दिए जाएंगे।

-छठे दिन बिक्री व्यवस्था के हथियार सिखाए जाएंगे, जिसमें निर्माता सीधे उपभोक्ता से जुड़ सकेगा और लाभ कमा सकेगा।

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