लखनऊः किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के डॉक्टरों की लापरवाही से सर्जरी के बाद छह साल के बच्चे समेत सात लोगों की आंखों की रोशनी चली गई है। सर्जरी के बाद इन्हें दिखना बंद हो गया। नेत्र विभाग के डॉक्टर इस पर पर्दा डालने में जुटे हैं।
क्या है मामला?
मरीजों की सर्जरी बीते हफ्ते बुधवार से शुक्रवार तक की गई थी। सर्जरी के बाद इन सभी को कुछ नहीं दिख रहा था। डॉक्टर पहले तो कहते रहे कि जैसे हड्डी टूटने पर जुड़ने में समय लगता है, ठीक वैसे ही आंखों की रोशनी आने में वक्त लगेगा। सर्जरी के सात दिन बाद सभी मरीजों की आंख से पस आने लगा। इसके बाद डॉक्टरों को लगा कि कुछ गड़बड़ है और अपनी गर्दन बचाने के लिए 4 मरीजों को उन्होंने डिस्चार्ज कर दिया। मरीजों का आरोप है कि डॉक्टरों की लापरवाही और ऑपरेशन थिएटर में संक्रमण की वजह उन्हें रोशनी गंवानी पड़ी।
क्या कह रही हैं विभाग की हेड?
केजीएमयू के नेत्र विभाग की हेड डॉ. विनीता सिंह ने ऑपरेशन थिएटर में संक्रमण होने से इनकार किया है। उनका कहना है कि सर्जरी के दौरान गड़बड़ी से मरीजों की रोशनी जाने की बात गलत है।
कौन-कौन हैं पीड़ित?
पीड़ित मरीजों में सुलतानपुर का छह साल का लक्ष्य सिंह, बस्ती की 60 साल की शकुंतला, हरदोई की 68 साल की राजमोहिनी, अंबेडकरनगर की 42 साल की गीता, गोंडा के 50 साल के रामसरन और दो अन्य मरीज हैं। इनमें से चार को डिस्चार्ज कर दिया गया है। तीन का इलाज जारी है। छह साल के लक्ष्य के बारे में केजीएमयू के डॉक्टरों ने बताया था कि उसकी बाईं आंख के लेंस पर झिल्ली आ गई है। इसके बाद 12 हजार रुपए खर्च कर 2 अगस्त को उसकी सर्जरी पिता दिलीप कुमार सिंह ने कराई थी। 9 अगस्त को उसकी आंख से पस आने लगा। उसे घरवाले गोमतीनगर के प्राइवेट हॉस्पिटल ले गए। वहां भी 36 हजार रुपए खर्च हुए, लेकिन डॉक्टरों ने कह दिया कि लक्ष्य अब बाईं आंख से कभी नहीं देख सकेगा।