ये पीछे छोड़ आए हैं आकाश की उड़ान, अब धरती पर लग रहे हैं सपनों को पंख

Update:2016-05-30 14:31 IST

लखीमपुरखीरी: देश में पढ़ कर विदेश चले जाना या विदेश में पढ़ कर वहीं बस जाना तो हर किसी का सपना होता है। लेकिन विदेश में जन्मे और पले बढ़े एक शख्स ने भारत लौट कर अपनी पुश्तैनी खेती को हाईटेक बनाने का सपना देखा, और उसे अपनी लगन से साकार भी कर डाला।

विदेश में जन्म

-लखीमपुर शहर से 10 किलोमीटर दूर है गांव मोहनपुरवा।

-दशकों पहले गांव के दर्शन सिंह परिवार समेत मस्कत शिफ्ट हो गए थे। वहां वह बंदरगाह पर नौकरी करते थे।

फर्टिलाइजर के बजाय वर्मि कम्पोस्ट का उपयोग

-यहीं बेटे दलजिंदर उर्फ हैप्पी का जन्म हुआ। उदलजिंदर ने हिंदी और अरबी की पढ़ाई के साथ यहां से हाईस्कूल पास किया।

-1996 में पिता के रिटायरमेंट के बाद परिवार पंजाब लौट आया। दलजीत ने अमृतसर से इंटरमीडिएट किया।

-इस बीच वर्ष 2000 में पिता की मौत के बाद घर की जिम्मेदारी दलजीत पर आ गई।

घर वापसी

-वर्ष 2006 में उन्हें एक निजी एयरवेज में फ्लाइट अटेंडेंट की नौकरी मिल गई। 7 लाख रुपए सालाना के पैकेज पर।

-लेकिन बड़े सपने देखने वाले दलजिंदर उर्फ हैप्पी को ये उड़ान बहुत छोटी लगने लगी।

-2012 में उन्होंने शादी करके पैतृक गांव में बसने का फैसला किया, ताकि अपने वतन में रह कर वो कुछ कर सकें।

रोटा वेटर के 2 फाल निकाल कर बहुपयोगी बना लिया

खेती का जुनून

-हैप्लपी ने लखीमपुर के अपने पैतृक गांव में गन्ने की खेती शुरू की।

-शुरुआती प्रयोगों के बाद फर्टीलाइजर खादों के बजाय वर्मी कम्पोस्ट के लिए प्लांट लगाया।

-इसके उपयोग से मिट्टी भुरभरी हुई तो लेबर रेट और सीड रेट कम हो गया। फिर 48 इंच पर बुवाई करवाई।

-इस तकनीक से उनका उत्पादन 300 कुंटल प्रति एकड़ से बढ़ कर 600 कुंटल प्रति एकड़ हो गया।

तकनीक का प्रयोग

-प्रयोग करने वाले हैप्पी ने गन्ना जुताई के लिए रोटा वेटर के दो फाल निकाल दिए। इससे अब रोटावेटर पावर वीडर मशीन का काम कर रहा है।

-वह कीटनाशक का इस्तेमाल नहीं करते। पुआल और पत्ती खेतों में नहीं जलाते।

उत्पादन 300 कुंटल प्रति एकड़ से बढ़ कर 600 कुंटल हुआ

-वह मानते हैं कि खेतों में आग से मिट्टी को उर्वर बनाने वाले कीट मर जाते हैं।

-पत्ती आगे चल कर खाद का काम करती है।

फ्लॉप सरकारी योजनाएं

-हैप्पी का मानना है कि सरकारी सब्सिडी और बीमा का प्रचार धोखा होता है।

-सरकारी योजनाओं का 5 प्रतिशत भी किसानों को मिल जाए तो हालात बदल जाएंगे।

-वह खुद सब्सिडी पर रोटा वेटर खरीदने गए थे, मगर उन्हें सब्सिडी नहीं मिली।

-तकनीक के प्रयोग से किसान हैप्पी ने दूसरे किसानों को नई राह दिखा दी है।

Tags:    

Similar News