Kaushambi News: धड़ल्ले से हो रहा अवैध बालू खनन, प्रशासन ने मूंदी आंखें

Kaushambi News: यमुना नदी से निकलती लाल बजरी प्रदेश में जिले के राजस्व को बढ़ाती है। वहीं दूसरी ओर यह लाल बजरी अधिकारियों को भ्रष्ट बनाने में अपनी भूमिका निभाती नजर आ रही है।

Report :  Ansh Mishra
Update:2022-12-01 14:18 IST

कौशांबी: हो रहा अवैध बालू खनन प्रशासन कर रहा अनदेखी

Kaushambi News: जिले की यमुना नदी (Yamuna River) से निकलती लाल बजरी प्रदेश में जिले के राजस्व को बढ़ाती है। वहीं दूसरी ओर यह लाल बजरी जिले में अधिकारियों को भ्रष्ट बनाने में अपनी महती भूमिका निभाती नजर आ रही है। स्थिति यह है कि लाख रोकने के बाद भी धड़ल्ले से खुलेआम कई अवैध घाट चल रहे हैं। आज खुलासा जायल तहसील क्षेत्र के पिपरी थाना क्षेत्र स्थित नसीरपुर गांव में चल रहे अवैध बालू खनन (illegal sand mining) का है।

यहां पर खुलेआम यमुना के सीने को चीर कर दिन रात अवैध रूप से बालू निकाला जा रहा है।, जिसकी प्रत्येक महीने करोड़ों रुपए मूल्य की जाती है। इससे सरकार को लाखों रुपए राजस्व भी मिलना चाहिए लेकिन स्थानीय स्तर पर तहसील व थाना प्रशासन की मिलीभगत से यह घाट धड़ल्ले से चल रहा है। जहां प्रत्येक दिन सैकड़ों ट्रक बालू निकाली जा रही है लेकिन किसी भी प्रशासनिक व पुलिस अधिकारी की नजर अभी तक घाट की ओर नहीं गई जबकि कई बार इस घाट के मामले में शिकायत हो चुकी है। और इसके अवैध खनन के वीडियो वायरल है।

खुलेआम यमुना नदी से अवैध रूप से बालू निकाला जा रहा

बताते चलें कि थाना क्षेत्र के मखदुमपुर चौकी क्षेत्र (Makhdumpur Chowki Area) के नसीरपुर गांव में खुलेआम यमुना के सीने को चीरकर यमुना के अवैध रूप से बालू निकाली जा रही है। यहां पर इस गांव में किसी प्रकार का बालू पट्टा नहीं है। इसके बाद भी स्थानीय पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा लाखों रुपए महीने मारी लेकर इस गोरखधंधे को बदस्तूर जारी रखा गया है। मामले की शिकायत भी जिले के आला अधिकारियों से की गई इसके बाद भी पूरे मामले को महज खानापूर्ति तक ही सीमित रखा गया स्थिति यह है। कि खबर लिखे जाने तक यह घाट पूरे शबाब पर चलता दिख रहा था।

प्रत्येक ट्रैक्टर पर ₹1500 व प्रत्येक ट्रक पर ₹6000 की हिस्सेदारी

कहा तो यहां तक जाता है कि इस घाट से हर दिन सैकड़ों की संख्या में ट्रक व ट्रैक्टरों से लड़कर बालू निकलती है। जिस पर पुलिस के अधिकारियों एवं प्रशासन के जिम्मेदारों की नजर सिर्फ इसलिए नहीं जा रही है। कि प्रत्येक ट्रैक्टर पर ₹1500 व प्रत्येक ट्रक पर ₹6000 की हिस्सेदारी प्रशासनिक अधिकारियों की ओर जाती है। अब जिले के आला अधिकारी की जिम्मेदारी बनती है। कि वह पूरे मामले की उच्च अधिकारियों से जांच कराते हुए इन भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित कराएं।

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