बुलंदशहर: दिल्‍ली में रेप पीड़िता ने ली अंतिम सांस, न्याय के लिए खुद को किया राख

डॉक्टरों के मुताबिक, मंगलवार शाम को पीड़िता की इलाज के दौरान मौत हो गई। उसे गंभीर हालत में दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती किया गया था।

Update: 2020-11-17 21:14 GMT
बुलंदशहर गैंगरेप: दिल्‍ली में पीड़िता ने ली अंतिम सांस, न्याय के लिए खुद को किया राख

उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर की रहने वाली एक और रेप पीड़िता ने कानून के लचर रवैये की आग में खुद को झोंक दिया। जहांगीराबाद पुलिस की ढुलमुल कार्यशैली और आरोपित का पक्ष लिए जाने से पीडि़ता ने क्षुब्ध होकर अपने आपको आग के हवाले कर दिया और अपनी जान दे दी। डॉक्टरों के मुताबिक, मंगलवार शाम को पीड़िता की इलाज के दौरान मौत हो गई। उसे गंभीर हालत में दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती किया गया था।

पीड़िता का मामला जहांगीराबाद थाना क्षेत्र का है, जहां पीड़िता के साथ दुष्कर्म हुआ था। जिले के ही अनूप शहर थाना क्षेत्र के अंतर्गत एक एलएलबी छात्रा ने चंद दिनों पहले ही सुसाइड किया था, जिसके लिए उसने अपने सुसाइड नोट में पुलिस को ही जिम्मेदार ठहराया था।

क्या था पूरा मामला?

"पुलिस आरोपियों पर कार्रवाई नही कर रही, पुलिस को मेरी बात पर भरोसा नहीं है और भरोसा दिलाने के लिए जान देना ही मेरे पास रास्ता है।" उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में एक छात्रा ने सुसाइड नोट पर यह लिखकर पुलिस विभाग के अधिकारियों और प्रदेश की कानून व्यवस्था का असली चेहरा दुनिया के सामने रख दिया। सुसाइड नोट लिखने वाली पीड़िता जिले के अनूप शहर कोतवाली के शेरपुर गांव की रहने वाली है। पीड़िता के साथ गैंगरेप जैसी वारदात को अंजाम दिया गया था और उसने घर में ही फांसी लगाकर जान दे दी थी।

फांसी लगाकर दे दी थी जान

जानकारी के मुताबिक़, पीड़िता के साथ उसके गाँव के ही एक शख्स से अपने दो दोस्तों के साथ मिलकर गैंगरेप किया था, इसकी तहरीर पीड़िता ने पिछले महीने 16 अक्टूबर को अनूप शहर कोतवाली में दी थी। पुलिस ने इस मामले में न कोई संज्ञान लिया और न ही पीड़िता के पक्ष को सुना। गैंगरेप होने के एक महीने बाद भी जब आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हुई, तो पीड़िता ने इन्साफ की आस में फांसी लगाकर जान दे दी थी।

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सुसाइड नोट में पीड़िता ने बयां किया था अपना दर्द

सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हर मंच से कहते हैं कि प्रदेश में कानून व्यवस्था का राज है, लेकिन यूपी पुलिस उनके इस कथन को हर बार गलत साबित करती है। पिछले कई महीनों में जनता ने प्रदेश के अलग-अलग शहरों में रेप और गैंगरेप जैसी वारदातों को देखा है, जिसमें पुलिस की लापरवाही साफ़ तौर से सामने आई है।

ताज़ा मामला पुलिस के बेपरवाह रवैये का जीता-जगता सबूत है, जहाँ पीड़िता को न्याय पाने के लिए ख़ुदकुशी का सहारा लेना पड़ा।

गैंगरेप पीड़िता एलएलबी छात्रा थी और कानून की पढ़ाई पढ़ रही थी, लेकिन उसे कानून के दांव-पेंच ने ही इतना बड़ा कदम उठाने पर मजबूर कर दिया। पीड़िता की शिकायत के एक महीने बाद तक आरोपियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई थी और आरोपी बेपरवाह होकर घूम रहे थे। इससे परेशान होकर पीड़िता ने पुलिस को अपनी बात पर यकीन दिलाने की नीयत से आत्महत्या का कदम उठाया।

सुसाइड नोट में गैंगरेप पीड़िता ने साफ़ तौर पर इस बात को कहा है कि पुलिस को उसकी बात पर भरोसा नहीं, भरोसा दिलाने के लिए आत्महत्या कर रही हूं। सुसाइड नोट में पीड़िता ने यह भी दावा किया है कि प्रेम जाल में फंसा शादी का झांसा दे उसके साथ गैंग रेप किया गया और उसकी वीडियो वायरल करने की धमकी भी दी गई।

प्रेमी और उसके 2 दोस्तों ने किया गैंगरेप

अपने ही घर में फांसी लगा लेने वाली शेरपुर गांव की यह पीड़िता कानून की पढ़ाई करती थी और एलएलबी तृतीय वर्ष की छात्र थी। पीड़िता ने अपने सुसाइड नोट में इस बात को लिखा है कि उसके साथ गैंगरेप हुआ है और उसका वीडियो वायरल करने की धमकी दी गई।

पीड़िता के साथ उसके प्रेमी ने शादी का झांसा देकर रेप किया था, जिसके बाद फिर उसने अपने दो दोस्तों के साथ मिलकर गैंगरेप की घटना को अंजाम दिया।

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पहले किया रेप, फिर किया गैंगरेप

पीड़िता के गाँव शेरपुर के रहने वाले शख्स ने ही उसके साथ शारीरिक सम्बन्ध बनाए थे और अपने दोस्तों के साथ मिलकर गैंगरेप किया। जानकारी के मुताबिक़, आरोप है कि पीड़िता ने सबसे पहले कमरुद्दीन पर 3 अक्टूबर को रिपोर्ट दर्ज कराई थी।

मगर कमरुद्दीन ने पीड़िता को निकाह का झांसा देकर उसे कोर्ट में झूठ बोलने को कहा और बयान अपने पक्ष में करा लिया।

जिसके बाद पीड़िता के सुसाइड नोट में लिखी बातों के मुताबिक,16 अक्टूबर को फिर कमरुद्दीन ने उसके साथ रेप किया और रेप का वीडियो छुपकर उसके दोस्त बरार और मुबीन ने बना लिया और वीडियो दिखाकर तीनों ने उसके साथ गैंगरेप की वारदात को अंजाम दिया और उसे अलीगढ़ के छर्रा में छोड़ फरार हो गए।

वीडियो वायरल करने की मिली धमकी

पीड़िता ने पुलिस को 16 अक्टूबर को हुई अपने साथ रेप और गैंगरेप की घटना की जानकारी दी और अनूपशहर कोतवाली में रिपोर्ट भी दर्ज कराई। लेकिन, यूपी पुलिस के होनहार पुलिस अधिकारियों ने कोई सुध नहीं ली।

पीड़िता को गैंगरेप की घटना और वीडियो वायरल किए जाने की धमकी भी मिली थी, जिसकी सूचना उसने पुलिस को दे दिया था, इसके बावजूद अनूप शहर कोतवाली पुलिस ने मामले में 1 महीने तक कोई कार्रवाई नहीं की।

इससे परेशान हो पीड़िता ने सुसाइड नोट लिखा और फिर जान दे दी। सुसाइड नोट में बिल्कुल साफ लिखा है कि पुलिस आरोपियों पर कार्रवाई नही कर रही, पुलिस को उसकी बात पर भरोसा नहीं है और भरोसा दिलाने के लिए जान देना ही उसके पास रास्ता है।

पीड़िता के परिजन अब अपनी बेटी से हुए गैंगरेप की वारदात के आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की गुहार मांग रहे हैं।

मामले की जांच कर रहे दरोगा निलंबित

एसएसपी ने इस मामले की जांच कर रहे दरोगा को निलंबित कर दिया है और अनूप शहर के एसएचओ को व्यक्तियों के खिलाफ जांच में शिथिलता के आरोपों की जांच एसपी क्राइम को सौंप दी है। सीओ को लाइन हाजिर कर दिया है।

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न्याय पाने के लिए आत्महत्या का सहारा क्यों?

प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाना लाजिमी है। सालों से कोई ऐसा महीना या हफ्ता नहीं बीतता, जिसमें रेप व गैंगरेप जैसे जघन्य अपराध के मामले सामने न आए हों। लगभग सभी मामलों में पुलिस की पीपपोती और लचर कार्रवाई ही जिम्मेदार रही हैं। ज्यादातर गैंगरेप और रेप पीड़िताओं ने न्याय के लिए आत्महत्या का ही सहारा लिया है। इससे सवाल ये उठता है कि अगर न्याय चाहिए तो आत्महत्या ही आखिरी रास्ता?

बुलंदशहर के एसएसपी की मानें तो 3 अक्टूबर की घटना की मामले में पीड़िता ने आरोपी कमरुद्दीन के पक्ष में बयान दिया था और 16 अक्टूबर को हुई घटना की 24 अक्टूबर को एफआईआर दर्ज कराई गई।

आरोपियों की लोकेशन घटनास्थल पर नहीं पाई गई, मगर मामले की विवेचना तीव्रता से न करने के आरोप में जांच अधिकारी को निलंबित कर दिया गया है। अनूप शहर कोतवाली प्रभारी निरीक्षक और अनूप शहर के सीओ को लाइन हाजिर किया है। मामले की जांच एसपी क्राइम को सौंप दी गई है।

मुख्य आरोपी गिरफ्तार, 2 फरार

बुलंदशहर एसएसपी के मुताबिक़, तीनों आरोपियों के खिलाफ धारा 306 के तहत मामला दर्ज कर कार्रवाई करने का आदेश दे दिया गया है। एक मुख्य आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है, जबकि 2 आरोपी अब भी कानून के शिकंजे से दूर है।

इस घटना से प्रदेश की पुलिस को सबक लेना चाहिए। यूपी पुलिस के अधिकारियों को समझना चाहिए कि किसी भी मामले में देरी करना, लोगों की जान पर बन आती है।

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