अब चूहों के बाद इन पर कोरोना टेस्ट, वायरस ने इनकी मार्केट बढ़ाई

कोरोना वायरस ने हर चीज पर असर डाला है। जीवन का कोई पहलू इससे अछूता नहीं रह गया है। कोरोना वायरस के चलते बंदरों की मार्केट भी बदल गई है।

Update: 2020-06-19 10:32 GMT

नई दिल्ली: कोरोना वायरस ने हर चीज पर असर डाला है। जीवन का कोई पहलू इससे अछूता नहीं रह गया है। कोरोना वायरस के चलते बंदरों की मार्केट भी बदल गई है। दुनिया भर में कोविड-19 की वैक्सीन के लिए कंपनियाँ दिन रात रिसर्च और डेवेलपमेंट में जुटी हुईं हैं। लेकिन किसी भी दवा या वैक्सीन के डेवेलपमेंट में टेस्टिंग बहुत महत्वपूर्ण है और ये महत्वपूर्ण काम बंदरों और चूहों पर ही आमतौर पर किया जाता है। ऐसे में दुनिया भर की प्रयोगशालाओं में बंदरों की डिमांड बहुत बढ़ गई है और आलम ये है कि एक एक बंदर 10 लाख रुपये में खरीदा जा रहा है।

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कोविड-19 की वैक्सीन बनाने में जुटा है चीन

मिसाल के तौर पर चीन की यीशेंग बायोफार्मा जनवरी से कोविड-19 की वैक्सीन निकालने के काम में रात दिन एक किए हुये है। बीजिंग में कोरोना की नई लहर की आहट के साथ वैक्सीन के लिए बेसब्री और अफरातफरी कई गुना बढ़ गई है। यीशेंग बायोफार्मा इस साल सितंबर में वैक्सीन प्रॉडक्शन शुरू करने का टारगेट रखे हुये है। और इसके लिए उसने क्लीनिकल ट्रायल पूरा करने से पहले ही वैक्सीन उत्पादन की तैयारी कर ली है। अब कंपनी पशुओं पर टेस्टिंग कर रही है और छोहोन तथा खरगोश पर टेस्टिंग के नतीजे अच्छे आए हैं।

टेस्टिंग का अगला चरण बंदरों पर होना है

अब टेस्टिंग का अगला चरण बंदरों पर होना है लेकिन चीन ही नहीं पूरी दुनिया में कोरोना की वैक्सीन और एंटीबॉडी दवा की टेस्टिंग के लिए बंदरों की डिमांड बहुत तेजी से बढ़ गई है। यीशेंग कंपनी जहां पहले एक बंदर के लिए 10 से 20 हजार युआन देती थी वहीं अब उसे एक लाख युआन यानी दस लाख रुपये देने पड़ रहे हैं। वैसे ये कोई आम प्रजाति वाले बंदर नहीं हैं ये चीन के दक्षिणी प्रान्तों में फार्मों में पाले जाने वाले खास प्रजाति के बंदर हैं।

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प्रयोगशालाओं के लिए पशु सप्लाई करने वाली कंपनी एचएफके बायोसाइंस के अनुसार चीन प्रयोगशालाओं के बंदरों का एक बड़ा सप्लायर है और पिछले साल 20 हजार बंदर निर्यात किए गए थे जबकि 18 हजार बंदर लोकल रिसर्च के लिए इस्तेमाल किए गए। इस साल डिमांड बहुत ज्यादा है और सप्लाई कम है।

भारत से भी पहले बड़ी संख्या में बंदर एक्सपोर्ट किए जाते थे लेकिन बाद में इसपर प्रतिबंध लगा दिया गया। अब आपात स्थिति में सीमित संख्या में बंदर प्रयोगशालों में दिये जा रहे हैं।

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