लखनऊ: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव आज सपा मुख्यालय में ओमवीर सिंह की पुस्तक 'मन का पंक्षी, यादों के पिंजरों' का विमोचन करने पहुंचे। इस मौके पर उनके साथ राम गोविंद चौधरी, प्रदेश अध्यक्ष, अरविंद सिंह गोप और उदय प्रताप सिंह कवि मौजूद रहे। पुस्तक विमोचन में अखिलेश यादव ने विपक्षियों पर हमकर कमेंट्स किए।
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बता दें कि 'मन का पंक्षी, यादों के पिंजरों' के लेखक ओमवीर सिंह 'संघर्ष के सफर का नायक मुलायम' जैसी पुस्तक लिख चुके हैं। इसके साथ ही लेखक दीन मोहम्मद दीन की भी पुस्तक 'यह कैसी आजादी' का विमोचन किया गया। बता दें कि दीन मोहम्मद भगवान राम और कृष्ण पर किताब लिख चुके हैं। उनका कहना है कि भगवान राम ने देश को जोड़ने का काम किया था।
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क्या बोले अखिलेश यादव
हम ने ओमवीर जी से अपनी हैंड राइटिंग में किताब लिखने को कहा था। दीन मोहम्मद दीन ने शानदार किताबें लिखी हैं। हिंदी को लगातार बढ़ाने का काम हो रहा है। दुनिया का कोई देश ऐसा नहीं, जहां हिंदी न हो। बहुत कम देश ऐसे हैं, जहां मुशायरा और कवि सम्मेलन न होता हो। साथ ही उन्होंने यमुना नदी में डूबे मृतकों के लिए दुःख भी जताया।
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और क्या बोले
-किसानों का पूरा क़र्ज़ माफ़ हो, पीएम ने कहा था तो होना चाहिए।
-वित्त मंत्री पीएम और रिज़र्व बैंक ने मदद करने से मना कर दिया था। इस क़र्ज़ माफी से किसानों की परेशानी दूर नहीं हो रही।
-किसान अभी भी परेशान हैं बेरोजगारों को कुछ नहीं मिला, जितना रैलियों में खर्चा होता है, उससे भी कम कर्ज माफ़ हुआ है।
-सैफई से योजनाएं शुरू करने के हम पर आरोप लगते थे, बुलेट ट्रेन कहां से शुरू होगी? यह आज सबको पता चल गया।
-यूपी की जनता देख रही है, कौन विकास कर रहा है?
-लखनऊ और आगरा एक्सप्रेसवे पर सिर्फ गायें नज़र आ रही हैं। तो इनके लिए व्यवस्था करानी चाहिए।
प्रांतीय सम्मेलन और राष्ट्रीय सम्मेलन में नेताजी के शामिल होने पर अखिलेश यादव बोले - हम ने मई में जवाब देने को कहा था। अब जवाब नहीं देंगे नेताजी शामिल होंगे या नहीं।
क्या बोले कवि उदय प्रताप सिंह
आज दीन मोहम्मद दीन और ओमवीर सिंह की पुस्तकों का विमोचन हो रहा है। तो वहीं विपक्षियों पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि 14 साल के लिए भगवान राम अयोध्या छोड़ कर इस लिए वनवास पर इस लिए गए थे ताकि कलह न हो। ऐसे ही आज भी भगवान राम का वनवास है, जब तक कलह खत्म नहीं होती। वनवास खत्म नहीं होगा। उन्होंने कहा कि जैसे अंग्रेज 'फूट डालो राज करो' करते थे, आज फिर वही हो रहा है।