पार्टी को दुरूस्त करने के लिए अब अखिलेश यादव करने जा रहे हैं ये बड़ा काम
सपा संगठन में बदलाव की खबर को इस बार बल बीती 12 अगस्त को उस समय मिला जब सपा अध्यक्ष रक्षाबंधन के मौके पर सैफई पहुंचे और वहां कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर उनकी मन की बात जानी।
लखनऊ: लोकसभा चुनाव परिणाम आने के करीब ढाई महीने बाद समाजवादी पार्टी में एक बार फिर बड़े फेरबदल की चर्चा हैं।
सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर पर संगठन में बड़े पैमाने पर फेरबदल करने की कवायद में जुटे हुये है।
लोकसभा चुनाव में सपा को मिली करारी हार व पांच सीटों पर सिमट जाने और बसपा से गठबंधन टूटने के बाद से ही सपा संगठन में बदलाव की खबरे आ रही है।
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सपा संगठन में बदलाव की खबर को इस बार बल बीती 12 अगस्त को उस समय मिला जब सपा अध्यक्ष रक्षाबंधन के मौके पर सैफई पहुंचे और वहां कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर उनकी मन की बात जानी।
इस बैठक में सपा कार्यकर्ताओं ने बेलौस अंदाज में अपने मुखिया से हार की टीस साझा की। इसी बैठक में अखिलेश ने कार्यकर्ताओं से कहा कि आपसे जुडे़ लोग ही भ्रम की स्थिति पैदा करते है।
ऐसे लोग जमीनी रिपोर्ट से आपको अवगत नहीं होने देते हैं। उन्होंने कहा कि सपा में अनुशासन और प्रशिक्षण की जरूरत है। लेकिन कार्यकर्ता ही कार्यकर्ता को बड़े नेताओं से मिलने में बाधा खड़ी कर रहे है।
विरोधियों से बेहतर काम करने की जरूरत
उन्होंने कहा कि हमे विरोधियों को हराना है तो उनसे बेहतर काम करने की जरूरत है। विरोधी गांव-देहात में खुद को मजबूत करने में जुटे हैं, हमे भी यह काम करना होगा।
इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि बूथ प्रभारी या फिर कार्यकर्ता की छवि कैसी है, इसका असर पार्टी के जनाधार पर पड़ता है। सपा कार्यकर्ताओं ने अखिलेश की पत्नी डिम्पल यादव द्वारा मंच पर बसपा मुखिया के पैर छुये जाने पर नकारात्मक संदेश जाने की बात भी कही।
अखिलेश के इस बयान के बाद से ही पार्टी में यह चर्चा चल पड़ी है कि सपा मुखिया पार्टी संगठन में आमूल-चूल परिवर्तन करने जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि सपा संगठन में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है।
संगठन के पेंच कसने की हो रही तैयारी
खराब छवि वाले और पार्टी के लिए अनुपयोगी लोगों की छटनी की जा सकती है। बताया जा रहा है कि आगामी विधानसभा उपचुनाव को देखते हुये अब एक बार फिर संगठन के पेंच कसने की तैयारी है।
लोकसभा चुनाव में हार के बाद सपा मुखिया द्वारा भंग किये गये मीडिया पैनलिस्ट को फिर से बहाल किया जा सकता है।
दरअसल, सपा मुखिया को बताया गया है कि मीडिया पैनलिस्ट पर रोक से विभिन्न चैनलों में सपा का पक्ष नहीं आ पा रहा है ।
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