Martyred Sachin Laur: 'छुट्टी लेकर आजा तू,..8 दिसंबर को तेरी शादी है', पिता ने नम आंखों से सुनाई बेटे से आखिरी बात
Aligarh Martyred Paratrooper Sachin Laur: जम्मू-कश्मीर के राजौरी में देश की सुरक्षा में जान गंवाने वाले पैराट्रूपर सचिन लौर की 8 दिसंबर को शादी थी। कार्ड धरे ही रह गए। पिता ने नम आंखों से सुनाई, क्या हुई थी बेटे से बात।
Aligarh Martyred Paratrooper Sachin Laur: जम्मू कश्मीर के राजौरी में 22 नवंबर को सुरक्षा बल और आतंकियों के बीच मुठभेड़ हुई थी। आतंकियों के साथ हुए इस मुठभेड़ में देश के लिए अपनी जान न्योछावर करने वालों में थाना टप्पल इलाके के नगरिया गौरौला गांव निवासी सचिन लौर (24 वर्ष) भी थे। सचिन साल 2019 में सेना में भर्ती हुए थे। फिलहाल घाटी में भारतीय सेना की विशेष यूनिट-9 में पैरा ट्रूपर के पद पर तैनात थे। सचिन लौर की 8 दिसंबर को मथुरा जिले के थाना माठ क्षेत्र की लड़की के साथ शादी होने वाली थी।
घर शादी की तैयारियों में जुटा था। इस बीच, उनके शहीद होने की सूचना से घर और गांव में मातम पसरा हुआ है। हर किसी की आंखें नम हैं। हालांकि, जवान के शहीद होने की सूचना के बाद उनके पार्थिव शरीर को शुक्रवार (24 नवम्बर) को सेना के जवानों द्वारा गांव लाया जाएगा। पार्थिव शरीर लाये जाने की सूचना पर गांव के लोगों सहित आसपास के कई गांव के लोगों का जमावड़ा अंतिम बार शहीद जवान के पार्थिव शरीर को देखने के लिए मौके पर इकट्ठा हुआ। यहां उनका सैन्य सम्मान के साथ जवानों द्वारा सलामी देते हुए अंतिम संस्कार किया जाएगा।
'छुट्टी लेकर आजा तू,...8 दिसंबर को तेरी शादी है'
शहीद जवान सचिन लौर के पार्थिव शरीर गांव लाने से पहले उनके पिता रमेश चंद ने बताया कि, सचिन की तैनाती कश्मीर घाटी में भारतीय सेना के विशेष यूनिट नौ में पैरा ट्रूपर के पद पर हुई थी। 22 नवंबर की देर शाम करीब 8 बजे परिवार के लोगों की अपने बेटे से फोन पर बात हुई थी। इस पर पिता ने उससे कहा था कि, 'छुट्टी लेकर आजा तू, वही लगा रहेगा। 8 दिसंबर को तेरी शादी भी है...'। इस पर सचिन ने कहा, पापा अभी दो आतंकवादी और रह गए हैं। उन दोनों बचे आतंकवादियों को मौत की नींद सुलाने के बाद ही वापस आऊंगा।'
मैं ठीक हूं, घर पर तिरंगा फहराना
पिता बताते हैं, सुबह करीब 7:15 बजे परिवार के लोगों को फोन पर उसका मैसेज आया। मैसेज में उसने कहा कि मैं घाटी में सही हूं। घर पर भी सब सही से रहो। यहां किसी तरह की भी उसे कोई दिक्कत नहीं है। वहीं, 21 नवंबर को उसने परिवार के लोगों से कहा कि, अभी तिरंगा झंडा मंगाकर उस तिरंगे को घर के ऊपर फहराना। परिवार के लोगों द्वारा उसके कहने घर के ऊपर झंडा फहराया था। उसके द्वारा अन्य सामान को लेकर भी व्हाट्सएप किया गया था। व्हाट्सएप किए गए सामान को भी परिवार के लोगों द्वारा उसके कमरे में लाकर रख दिया था।'
उसमें डर जैसी कोई चीज नहीं थी
पिता रमेश चंद ने आगे बताया, 'उनका बेटा सचिन लौर कक्षा 6 से ही परिवार के लोगों से कहता था कि देश सेवा के लिए सेना में भर्ती होऊंगा। सेना में भर्ती होकर कमांडो बनूंगा। उसके बाद सेना में भर्ती होकर उग्रवादियों और आतंकवादियों को देखा करूंगा। उन्हें गोलियां मारूंगा। पिता ने बताया कि, ऊंची कद काठी के शरीर से तंदुरुस्त उसके बेटे सचिन लौर में अपनी जान को लेकर कोई खौफ और डर नाम की उसमें कोई चीज ही नहीं थी। कमांडो होने के बाद जब भी वह छुट्टी पर गांव आता था। इसके बाद भी गांव आकर भी रोजाना दौड़ लगाता था।'
शादी के कार्ड धरे रह गए
वहीं, 8 दिसंबर को सचिन की शादी थी। शादी को लेकर परिवार के लोग तैयारी में जुटे थे। लड़की पक्ष शादी में देने गाड़ी गाड़ी तक मंगवा रखी थी। पिता रमेश चंद ने बताया कि, वह पंजाब जाएगा। इस पर उन्होंने पिता से कहा था कि शादी में दिन ही कितने बचे हैं। उन्होंने कहा, मां-बाप अपने बेटे का सेहरा सजाने की तैयारी कर रहे थे। जहां 23 नवंबर की सुबह आतंकवादियों से लोहा लेते हुए उसके शहीद होने की खबर सेना अधिकारियों ने परिवार के लोगों को दी। बेटे के शहीद होने की सूचना मिलते ही परिवार में चीख-पुकार मच गई। गांव में बेटे की मौत की खबर सुनकर मातम पसर गया। बेटे के शहीद होने की खबर के बाद परिवार के लोगों का रो-रोकर बुरा हाल है। वहीं, शादी के कार्ड घर के अंदर धरे के धरे रह गए।