कैराना पलायन: HC ने राज्य सरकार से मांगा जवाब, कोर्ट ने पूछा- अब तक क्या कदम उठाए
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शामली जिले के कैराना और मुजफ्फरनगर के आसपास के हिंदुओं के पलायन की घटना की जांच सीबीआई को सौंपने की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है।
इलाहाबाद: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शामली जिले के कैराना और मुजफ्फरनगर के आसपास के हिंदुओं के पलायन की घटना की जांच सीबीआई को सौंपने की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है। याचिका की अगली सुनवाई 02 फरवरी को होगी। कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि पलायन रोकने और इनकी वापसी के संबंध में क्या कदम उठाए हैं। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डी.बी.भोसले और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की बेंच ने मेरठ के सामाजिक कार्यकर्ता लोकेश कुमार खुराना की जनहित याचिका पर दिया है।
क्या कहना है याची के वकील का ?
-याची की तरफ से सीनियर एडवोकेट वी.सी.मिश्र का कहना था कि धर्म विशेष के दबंगों के अत्याचार, लूट, रेप और हत्या की घटनाओं से आंतकित होकर हिंदू पलायन कर रहे हैं।
-राजनैतिक कारणों से पुलिस ऐसे अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं कर रही।
-जिस कारण अराजक तत्व और अपराधियों का मनोबल बढ़ रहा है और पीड़ित हिंदू परिवार सहित घर छोड़ने को मजबूर है।
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याचिका में क्या मांग की गई है ?
याचिका में प्रमुख सचिव भारत सरकार के अलावा प्रदेश के मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव गृह, डीजीपी और जिला प्रशासन को प्राथमिकी दर्ज कर कानून व्यवस्था कायम रखने और परिवारों की सुरक्षा मुहैया कराने के निर्देश जारी करने की मांग की गई है।
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क्या कहा गया है याचिका में ?
-साल 2016 में शामली जिले के कैराना में बीजेपी एमपी हुकुम सिंह ने मुस्लिम समुदाय के कथित उत्पीड़न से परेशान होकर 346 हिंदू परिवारों के पलायन वहीं इस मामले की शिकायत सुप्रीम कोर्ट की वकील मोनिका -अरोड़ा खुराना ने भी राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से की थी।
-जिस मामले में मानवाधिकार आयोग ने 4 सदस्यीय उच्च अधिकारियों की कमेटी से जांच कराई।
-जिसकी रिपोर्ट में 20 बिंदुओं में आरोपों की पुष्टि हुई है।
-याचिका में आरोप लगाया गया है कि सैकड़ों हिंदुओं के परिवारों के उत्पीड़न और पलायन के बावजूद राज्य सरकार ने कोई एफआईआर दर्ज नहीं की है।
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क्या कहना है याची का ?
-याची का कहना है कि भारी संख्या में हिंदुओं का घर छोडकर दूसरी जगह जाना सामान्य मामला नहीं है।
-अपराधियों में पुलिस का खौफ नहीं है।
-एरिया में अल्पसंख्यक हिंदुओं के पास घर छोड़ने के अलावा विकल्प नहीं बचा है।
-कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए कोर्ट हस्तक्षेप करे और कुछ जिलों के व्यापक क्षेत्रों से पलायन की जांच सीबीआई से कराई जाए।
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सहायक अध्यापकों की भर्ती में डीएड डिग्री धारकों को शामिल न करने पर प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा तलब
इलाहाबाद: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने डिप्लोमा इन एजुकेशन (डी.एड) डिग्री धारकों को 2013 की प्राइमरी सहायक अध्यापकों की भर्ती में शामिल करने के आदेश की अवहेलना करने पर कड़ा रूख अपनाया है। कोर्ट ने प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा अजय कुमार सिंह गोप को अवमानना आरोप निर्मित करने के लिए 31 जनवरी को हाजिर रहने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने डी.एड. डिग्री धारकों को सहायक अध्यापक भर्ती में शामिल न करने के स्पष्टीकरण को संतोषजनक नहीं माना और प्रथम दृष्टया जान बूझकर कोर्ट की अवहेलना करने का दोषी माना है।
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यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार ने हर्ष कुमार की अवमानना याचिका पर दिया है। कोर्ट ने डी.एड डिग्री धारक टीईटी पास याचियों को सहायक अध्यापक भर्ती में शामिल करने का निर्देश दिया था। इसके खिलाफ विशेष अनुमति याचिका पर कोर्ट ने 50 फीसदी पद खाली रखने को कहा था। बाद में एस.एल.पी. खारिज हो गई। इसके बावजूद डी.एड डिग्री धारकों को चयन में शामिल नहीं किया जा रहा है। जिस पर कोर्ट ने प्रमुख सचिव से जवाब मांगा था, लेकिन आदेश का पालन न करने को कोर्ट ने गंभीरता से लिया है।