HC ने कहा- मात्र आशंका या केस दर्ज होने पर रद्द नहीं कर सकते शस्त्र लाइसेंस
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को निर्णय दिया कि मात्र आशंका के आधार पर किसी व्यक्ति को मिले शस्त्र लाइसेंस को रद्द करना गलत है। कोर्ट ने कहा कि कोई भी मुकदमा दर्ज हो जाने मात्र से किसी व्यक्ति को मिले लाइसेंस को रद्द नहीं किया जा सकता। यदि उस व्यक्ति ने लाइसेंस जारी होने की शर्तो का उल्लंघन नहीं किया है तो मात्र इस आशंका में कि शस्त्र का दुरूपयोग किया गया होगा , लाइसेंस रद्द नहीं किया जा सकता। यह फैसला जस्टिस पंकज मित्तल ने यूपी के बांदा डिस्ट्रिक्ट के छितेश्वर उपाध्याय की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने कहा कि मात्र केस पेंडिंग होने के आधार पर शस्त्र लाइसेंस निरस्त नहीं किया जा सकता।
इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को निर्णय दिया कि मात्र आशंका के आधार पर किसी व्यक्ति को मिले शस्त्र लाइसेंस को रद्द करना गलत है। कोर्ट ने कहा कि कोई भी मुकदमा दर्ज हो जाने मात्र से किसी व्यक्ति को मिले लाइसेंस को रद्द नहीं किया जा सकता। यदि उस व्यक्ति ने लाइसेंस जारी होने की शर्तो का उल्लंघन नहीं किया है तो मात्र इस आशंका में कि शस्त्र का दुरूपयोग किया गया होगा , लाइसेंस रद्द नहीं किया जा सकता। यह फैसला जस्टिस पंकज मित्तल ने यूपी के बांदा डिस्ट्रिक्ट के छितेश्वर उपाध्याय की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने कहा कि मात्र केस पेंडिंग होने के आधार पर शस्त्र लाइसेंस निरस्त नहीं किया जा सकता।
मामले के अनुसार, याची के खिलाफ मारपीट का एक केस दर्ज हुआ था। इसमें शस्त्र के दुरूपयोग की कोई बात सामने नहीं आई थी। पुलिस ने रिपोर्ट भेजी थी कि याची मारपीट में शामिल रहा और आपराधिक प्रवृति का है, जबकि वह रिटायर टीचर है। कोर्ट ने कहा कि ऐसा कोई तथ्य नहीं है जिससे यह पता चल सके कि याची ने शस्त्र लाइसेंस की किसी भी शर्त का उल्लंघन किया हो, या ऐसा कोई कार्य किया जिससे लोकशांति और सुरक्षा को खतरा पैदा होता हो। ऐसा भी नहीं था कि याची ने लाइसेंस लेते समय किसी तथ्य को छिपाया हो। हाई कोर्ट ने कहा कि लाइसेंस निरस्त करने के लिए आयुध अधिनियम 1956 कि धारा 17 के प्रावधानों का उल्लंघन होना जरूरी है।