Allahabad HC : संस्कृत प्राइमरी स्कूल अध्यापकों को पेंशन पाने का हक, लागू करने का निर्देश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इण्टरमीडिएट कालेजों की तरह संस्कृत महाविद्यालयों से सम्बद्ध प्राइमरी स्कूल अध्यापकों को भी पेंशन, सेवानिवृत्ति परिलाभों का भुगतान पाने का अधिकार है।

Update: 2017-11-30 15:06 GMT
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इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इण्टरमीडिएट कालेजों की तरह संस्कृत महाविद्यालयों से सम्बद्ध प्राइमरी स्कूल अध्यापकों को भी पेंशन, सेवानिवृत्ति परिलाभों का भुगतान पाने का अधिकार है। कोर्ट ने राज्य सरकार को छह माह में परिनियमावली बनाने का निर्देश दिया है। साथ ही संस्कृत महाविद्यालय से सम्बद्ध प्राइमरी स्कूल के सहायक अध्यापक को पेंशन देने से इंकार को अवैध व मनमानापूर्ण करार देते हुए रद्द कर दिया है। और तीन माह में याची को सेवानिवृत्त परिलाभों का भुगतान करने का निर्देश दिया है।

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अभी तक इण्टर कालेजों से सम्बद्ध प्राइमरी स्कूल के अध्यापकों को ही पेंशन आदि दिया जाता है। कोर्ट ने संस्कृत विद्यालयों से सम्बद्ध प्राइमरी स्कूल अध्यापकों को पेंशन आदि देने के इस आदेश का पालन सुनिश्चित कराने का मुख्य सचिव को निर्देश दिया है।

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यह आदेश जस्टिस एस.पी केशरवानी ने सत्य नारायण संस्कृत महाविद्यालय व करारी बैतालपुर, देवरिया के सहायक अध्यापक पद से सेवानिवृत्ति मार्कंडेय मणि की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। कोर्ट ने कहा है कि देश की सांस्कृतिक एकता, विज्ञान व सभ्यता के विकास की संस्कृत भाषा आधारशिला है और संस्कृत कालेजों से जुड़े अध्यापकों के साथ भेदभाव करना उचित नहीं माना जा सकता।

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संस्कृत भाषा के साथ भेद करना अपराध है। संस्कृत पढ़ाने वाले अध्यापकों के साथ भेदभाव करना विकास की जड़ काटना है। संस्कृत के साथ सौतेला व्यवहार करते हुए अध्यापकों को वेतन व सेवानिवृत्ति परिलाभों के भुगतान से भेदभाव राष्ट्रीय अपराध है। कोर्ट ने कहा कि संस्कृत विद्यालयों से सम्बद्ध स्कूलों के अध्यापकों को वेतन दिया जा रहा है तो इण्टर कालेज से सम्बद्ध प्राइमरी स्कूल अध्यापकों की तरह उन्हें भी पेंशन आदि पाने का हक है।

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कोर्ट ने कहा कि प्राइमरी एवं माध्यमिक विद्यालयों की शिक्षा बच्चों के मस्तिष्क विकास की आधारशिला है। ऐसे में अध्यापकों को पेंशन से इंकार करना मनमानापूर्ण है। देश की सांस्कृतिक एकता में संस्कृत का महत्वपूर्ण योगदान है।

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