जेल में बंदियों की मौत पर परिजनों के मुआवजे का क्या हुआ : हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जेलों में निरुद्ध बंदियों की अस्वाभाविक मृत्यु पर उनके परिजनों को मुआवजा देने की योजना पर उठाए गए कदमों की जानकारी मांगी है।

Update: 2017-10-16 19:07 GMT

इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जेलों में निरुद्ध बंदियों की अस्वाभाविक मृत्यु पर उनके परिजनों को मुआवजा देने की योजना पर उठाए गए कदमों की जानकारी मांगी है। कोर्ट ने ऐसे बंदियों की जानकारी भी मांगी है। साथ ही यह भी पूछा है कि इस योजना के तहत कितने बंदियों के परिजनों को मुआवजा दिया गया।

कोर्ट ने मृत बंदियों के परिवार वालों के एड्रेस के साथ उनकी सूची भी पेश करने को कहा है। इसके अलावा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की सदस्य सचिव को सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अध्ययन करने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट का आदेश सही तरीके से लागू करने के लिए प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष से अपनी अध्यक्षता में एक कमेटी बनाने को कहा है।

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हाईकोर्ट के अधिवक्ता को प्रदेश की 65 जेलों से भेजे गए आंकड़ों का चार्ट तैयार करने का निर्देश दिया है। यह आदेश चीफ जस्टिस डीबी भोसले और जस्टिस मनोज कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने लीगल एंड लॉ स्कूल बीएचयू की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर दिया है।

याचिका के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने जेल में निरुद्ध बंदियों की अस्वाभाविक मृत्यु होने पर उनके परिजनों को मुआवजा दने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में हाईकोर्ट प्रशासन ने जेल अधिकारियों से साल 2012 से ऐसे बंदियों का वर्षवार आंकड़ा मांगा था। प्रदेश की 69 में से 65 जेलों ने अपने आंकड़े हाईकोर्ट भेजे हैं।

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