हाईकोर्ट ने नगर निगम से पूछा- आपके पास वेतन देने को पैसे नहीं तो कैसे कर ली सैकड़ों नियुक्तियां?

Update:2017-03-23 00:24 IST
हाईकोर्ट ने पूछा- काम बौद्ध धर्म से जुड़ी चीजों के अध्ययन का, तो इतनी शानोशौकत क्यों?

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने बिना वित्त विभाग की अनुमति के विभिन्न पदों पर सैकड़ों नियुक्तियां करने पर नगर निगम से जवाब-तलब किया है। कोर्ट ने स्पष्ट करने को कहा है कि जब उसके पास अपने कर्मचारियों को वेतन देने के पैसे नहीं थे। उसे इस शर्त पर राज्य सरकार की ओर से कर्ज मिला था कि वह नई नियुक्तियां बिना वित्त विभाग की अनुमति के नहीं करेगा तो फिर सैकड़ों नियुक्तियां कैसे कर ली गईं?

ये आदेश जस्टिस एपी साही और जस्टिस संजय हरकौली की खंडपीठ ने राजेश कुमार की ओर से दाखिल एक जनहित याचिका पर दिया। याचिका में कहा गया है कि अप्रैल 2016 में जल निगम की यह स्थिति नहीं थी कि वह अपने कर्मचारियों को तनख्वाह दे सके। लिहाजा उसे राज्य सरकार से कर्ज लेना पड़ा। राज्य सरकार ने निगम को सशर्त कर्ज देते हुए एक शासनादेश पारित किया।

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इन पदों पर हुई नियुक्ति

13 दिसंबर 2016 के उक्त शासनादेश के अनुसार जल निगम कर्ज के पैसों से वर्तमान कर्मचारियों को तनख्वाह और ग्रेच्युटी आदि का भुगतान करेगा। शासनादेश में यह भी कहा गया था कि निगम बिना वित्त विभाग की अनुमति के कोई भी नई नियुक्ति नहीं करेगा। बावजूद इसके 4 जनवरी 2017 से 7 जनवरी 2017 के बीच निगम में क्लर्क, स्टेनो, जूनियर इंजीनियर और सहायक इंजीनियर के पदों पर बड़ी मात्रा में भर्तियां हुईं।

निगम एक हफ्ते में दे हलफनामा

बुधवार (22 मार्च) को मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने एक सप्ताह में निगम को जवाबी हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया। वहीं, याची को इसके बाद तीन दिन के भीतर जवाब देने का भी निर्देश दिया गया है।

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