इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्राइमरी स्कूलों में 16 हजार 448 सहायक अध्यापकों के भर्ती विज्ञापन के खिलाफ दाखिल याचिका पर राज्य सरकार और बेसिक शिक्षा परिषद से चार हफ्ते में जवाब मांगा है।
कोर्ट ने ये कहा -
कोर्ट ने मध्यप्रदेश के कॉलेज से दो वर्षीय डिप्लोमा इन एजुकेशन धारक याचियों को भी भर्ती प्रक्रिया में शामिल करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने कहा है कि यदि याचीगण 18 जुलाई तक आदेश की प्रति और डिप्लोमा के साथ आवेदन देते हैं तो उसे निरस्त न किया जाए। कोर्ट ने याचियों की नियुक्ति कोर्ट की अनुमति के बाद ही देने का आदेश दिया है। याचिका की अगली सुनवाई 22 अगस्त को होगी।
ये भी कहा-
यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज मिश्र ने धर्मेन्द्र कुमार सिंह सहित अन्य की याचिका पर दिया है। इनका कहना है कि बेसिक शिक्षा परिषद ने 25 जून 2016 को सहायक अध्यापक भर्ती विज्ञापन निकाला था। इसमें दो वर्षीय शिक्षा डिप्लोमा को न्यूनतम अहर्ता में शामिल नहीं किया गया है, जबकि इस डिप्लोमा को एनसीटीई से बीटीसी के समकक्ष मान्यता दी गई है।
याची का पक्ष
बर्कतुल्लाह विश्वविद्यालय भोपाल, मध्यप्रदेश से संबद्ध राधाकृष्ण कॉलेज, भोपाल से याची ने डिप्लोमा लिया है। जिसे माध्यमिक शिक्षा परिषद भोपाल से मान्यता मिली है। याची का कहना है कि एनसीटीई की गाइडलाइन और मानक पूरे देश में लागू है। इसकी पुष्टि शिवकुमार शर्मा सहित कई मामलों में कोर्ट द्वारा की गई है। ऐसे में राज्य सरकार को न्यूनतम अर्हता में बदलाव करने का अधिकार नहीं है।
याची की मांग
याची भी सहायक अध्यापक भर्ती में शामिल होने की योग्यता रखते हैं। याचिका में याचियों को ऑनलाइन आवेदन जमा करने की अनुमति देने की मांग की गई है। कोर्ट ने याचिका में उठाए गए बिंदुओं को विचारणीय माना तथा याचियों को भर्ती प्रक्रिया में शामिल करने का आदेश दिया है। याचिका की अगली सुनवाई अब 22 अगस्त को होगी।