Allahabad HC Order: थाने में किसी को बुलाने के लिए थाना प्रभारी की मंजूरी जरूरी, HC का आदेश
Allahabad HC Order: इलाहबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया है कि किसी भी शख्स को, जिसमें बगैर थानाध्यक्ष की अनुमति के पुलिस थाने में नहीं बुलाया जा सकता है।
Allahabad HC Order: गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) के लखनऊ बेंच (Lucknow Bench) ने एक याचिका की सुनवाई करते हुए एक बड़ा फैसला सुनाया है। उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) ने उत्तर प्रदेश सरकार (UP Government) को निर्देश दिया है कि किसी भी शख्स को, जिसमें आरोपी भी शामिल है, बगैर थानाध्यक्ष की अनुमति के पुलिस थाने में नहीं बुलाया जा सकता है। थाना प्रभारी के सहमति या अनुमोदन के बिना अधीनस्थ पुलिस अधिकारियों द्वारा मौखिक रूप से किसी को थाने में तलब नहीं किया जा सकता।
इस दौरान जस्टिस अरविंद कुमार मिश्रा (Justice Arvind Kumar Mishra) और जस्टिस मनीष माथुर (Justice Manish Mathur) की खंडपीठ ने महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि सिर्फ पुलिस अधिकारियों के मौखिक आदेशों के आधार किसी शख्स के जीवन, स्वतंत्रता और गरिमा को खतरे में नहीं डाला जा सकता है। अदालत ने एक और महत्वपूर्ण आदेश देते हुए कहा कि किसी भी पुलिस स्टेशन में शिकायत की जा सकती है।
क्या है मामला
दरअसल इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) के लखनऊ बेंच के समक्ष एक लड़की द्वारा दायर याचिका में दावा किया था कि उसके मां – बाप को लखनऊ के महिला पुलिस थाने में बुलाया गया था और वह वापस नहीं आए। याचिकाकर्ता सावित्री और रामविलास और उनकी पुत्री ने अदालत को बताया कि कुछ पुलिसकर्मियों ने उन्हें पुलिस थाने बुलाया और जब वे वहां पहुंचे, तो उन्हें हिरासत में ले लिया गया। इस दौरान कुछ पुलिसकर्मियों ने उन्हें धमकी भी दी। बाद में पुलिस ने इस मामले में बिना शर्त माफी मांगी औऱ कहा कि याचिककर्ताओं को अपमानित करने या परेशान करने का कोई जानबूझकर प्रयास नहीं किया गया था।
अदालत ने कही ये बात
विभिन्न तथ्यों को देखते हुए उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) ने कहा कि भारतीय संविधान अथवा सीआरपीसी में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जिसके लिए पुलिस अधिकारी को प्राथमिकी दर्ज किए बिना भी मौखिक रूप से किसी व्यक्ति को समन करने और हिरासत में लेने की आवश्यकता होती है। अगर वे ऐसा करते हैं तो इसे अनुच्छेद 21 यानि व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार के उल्लंघन के संदर्भ में देखा जाएगा।
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