आयोग में भर्तियों की CBI जांच पर केंद्र, राज्य व जांच एजेंसी से जवाब तलब

Update:2018-01-09 20:05 IST

इलाहाबाद : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने लोक सेवा आयोग इलाहाबाद की पांच साल की भर्तियों की सीबीआई से जांच के खिलाफ याचिका पर केंद्र, राज्य सरकार व सीबीआई से एक हफ्ते में जवाब मांगा है और अगली सुनवाई की तिथि 18 जनवरी नियत की है।

कोर्ट ने अगली सुनवाई की तिथि तक आयोग के सदस्यों को बुलाकर पूछताछ करने पर रोक लगा दी है। भारत सरकार के सहायक सॉलिसिटर जनरल ज्ञान प्रकाश ने सीबीआई की तरफ से कोर्ट से कहा कि वह आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों से इस बीच कोई पूछताछ नहीं करेंगें।

यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डी.बी. भोसले तथा न्यायमूर्ति सुनीत कुमार की खण्डपीठ ने उ.प्र लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों की तरफ से दाखिल याचिका पर दिया है।

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याची के वरिष्ठ अधिवक्ता का कहना है कि लोक सेवा आयोग एक संवैधानिक संस्था है जिसकी जांच नहीं करायी जा सकती। राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल का कहना था कि 31 जुलाई 17 के आदेश को याचिका में चुनौती नहीं दी गयी है। राज्य सरकार के अनुरोध पर केन्द्र सरकार ने 21 नवम्बर 17 को सीबीआई जांच की अधिसूचना जारी की है।

कोर्ट ने याची को संशोधन अर्जी के मार्फत 31 जुलाई के आदेश को चुनौती देने की छूट दी है। कोर्ट ने राज्य सरकार से यह भी पूछा है कि सीबीआई जांच की संस्तुति भेजने के लिए क्या तथ्य है। पूर्व राज्यपाल जे.एफ. रिबेरो व अन्य की जनहित याचिका निस्तारित होने के बाद वर्तमान याचिका में उनकी तरफ से अर्जी दी गयी है। भारत सरकार की तरफ से ज्ञान प्रकाश ने पक्ष रखा। कोर्ट ने जानना चाहा कि सीबीआई जांच करेगी या विवेचना। यदि विवेचना करेगी तो प्राथमिकी दर्ज कर गिरफ्तारी भी कर सकती है। इस पर मनीष गोयल ने कहा कि सीबीआई पहले प्रारम्भिक जांच करेगी और फिर प्राथमिकी दर्ज कर विवेचना करेगी। कोर्ट ने कहा कि वह जांच कर सकती है किन्तु वह आयोग के सदस्यों से पूछताछ न करे।

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छात्रवृत्ति घोटाले की जांच शीघ्र पूरी करने का निर्देश

इलाहाबाद : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने आजमगढ़ में 2010 से 2016 के बीच हुई छात्रवृत्ति घोटाले की जांच आर्थिक अपराध शाखा को सौंपने के बाद जनहित याचिका निस्तारित कर दी है। कोर्ट ने मामले की यथाशीघ्र जांच पूरी करने का निर्देश दिया है।

यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डी.बी. भोसले तथा न्यायमूर्ति सुनीत कुमार की खण्डपीठ ने अरूण कुमार सिंह की जनहित याचिका पर दिया है। मालूम हो कि समाज कल्याण विभाग की तरफ से करोड़ों की छात्रवष्त्ति वितरण में घोटाला किया गया। जिसकी जांच स्थानीय पुलिस द्वारा की जा रही थी। जांच लचर होने को लेकर जनहित याचिका दाखिल कर जांच जल्द पूरी करने की मांग की गयी थी।

अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता रामानन्द पाण्डेय ने कोर्ट को बताया कि आरोपों की गंभीरता को देखते हुए सरकार ने जांच आर्थिक अपराध शाखा को सौंप दिया है। आर्थिक घोटाले पर सरकार गंभीर है। वह स्वयं मामले की तह तक जाना चाहती है। सरकार द्वारा स्वयं ही सक्रियता बरतने के कारण कोर्ट ने हस्तक्षेप न करते हुए जांच यथाशीघ्र पूरी करने का निर्देश दिया और याचिका निस्तारित कर दी है।

हाईकोर्ट ने कहा-वकील बहस नहीं कर रहे तो क्यों न नियुक्त किये जाएं न्यायमित्र

इलाहाबाद : एक आपराधिक मुकदमें की सुनवाई में रूचि नहीं ले रहे वकीलों पर सख्त टिप्पणी करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि यदि वकीलों को मुकदमें में रूचि नहीं है तो क्यों न अदालत वादकारी की राय लेकर उनके स्थान पर न्यायमित्र नियुक्त कर दे। कोर्ट ने दोनों अधिवक्ताओं को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए पूछा है कि क्यों न जेल में बंद वादकारी की राय लेकर इस केस में न्यायमित्र नियुक्त किया जाए ताकि वह अपील के निस्तारण में अदालत का सहयोग कर सके।

इससे पूर्व हाईकोर्ट ने अपीलार्थी की पहली जमानत अर्जी खारिज करते हुए अपील पर अंतिम सुनवाई के लिए पेपर बुक तैयार करने का आदेश दिया था। इसके बाद दूसरी जमानत प्रार्थना पत्र दाखिल किया गया। वादी के अधिवक्ता ने बहस की कि अंतिम सुनवाई नहीं हुई है इसलिए याची जमानत पाने का हकदार है।

पेपर बुक तैयार नहीं होने के कारण इस बार भी जमानत निरस्त हो गयी। इसके बाद केस कई बार अंतिम सुनवाई के लिए लगा लेकिन अपीलार्थी की ओर से अधिवक्ता बहस के लिए उपस्थित नहीं हुआ। इसे देखते हुए न्यायमूर्ति ए.पी.शाही व न्यायमूर्ति राजीव मिश्र की खण्डपीठ ने इस मुकदमे के दोनों वकीलों को नोटिस जारी करते हुए पूछा है कि क्यों न इस मामले में न्यायमित्र नियुक्त किये जाए।

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