हाई कोर्ट: मुख्य सचिव से गांव स्तर पर गरीबों की कैंटीन पर मांगा हलफनामा

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने दशकों से सूखे के चलते भुखमरी से पीड़ित बुन्देलखण्ड के गरीबी रेखा से नीचे के लोगों को सस्ते दर पर अनाज के बजाय कम दर पर पका भोजन उपलब्ध कराने की योजना लागू करने पर मुख्य सचिव से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा

Update: 2018-02-21 14:19 GMT

इलाहाबाद:इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दशकों से सूखे के चलते भुखमरी से पीड़ित बुन्देलखण्ड के गरीबी रेखा से नीचे के लोगों को सस्ते दर पर अनाज के बजाय कम दर पर पका भोजन उपलब्ध कराने की योजना लागू करने पर मुख्य सचिव से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है और कहा है कि यह हलफनामा दाखिल नहीं होता तो वह 5 मार्च को हाजिर हो।

यह आदेश जस्टिस सुधीर अग्रवाल तथा जस्टिस हर्ष कुमार की खण्डपीठ ने बुन्देलखण्ड उच्च न्यायालय अधिवक्ता संघ की जनहित याचिका पर दिया है।कोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार ने लखनऊ में 5 व 10 रूपये में भरपेट भोजन की कैंटीन खोली है। संसद व विधानसभा में सांसदों, विधायकों व सचिवालय अधिकारियों के लिए सस्ती दर की कैंटीन है। कोर्ट ने कहा कि गरीबों को सस्ता अनाज उपलब्ध कराने में भारी सब्सिडी सरकार दे रही है।

यदि सब्सिडी बंद कर इसी को पका भोजन ग्राम पंचायत स्तर पर व फिर प्रत्येक गांव में उपलब्ध कराने की कोशिश करे ताकि बुन्देलखंड के गरीबों की भूख से मौत न हो सके।कोर्ट ने कहा कि 69 हजार वर्गमीटर बुन्देलखंड एरिया में 40.5 मिलियन आबादी है। सात जिलों की 70 फीसदी आबादी 4500 गांवों में निवास करती है।सूखे से पीड़ित एरिया के विकास के लिए सरकारों ने भारी अनुदान दिया है। बालू, पत्थर, ग्रेनाइट से धनी क्षेत्र की जनता को इसका लाभ नहीं मिल रहा है। खनन माफिया अधिकारियों की मिलीभगत से भूगर्भ सम्पत्तियों का दोहन किया जा रहा है।

चम्बल कुंवारी, पहुज, सिन्ध, बेतवा आदि नदिया होने के बावजूद पीने व सिंचाई के पानी की भारी कमी है। आदमी ही नहीं जानवरों का जीवन मुश्किल हो गया है। कोर्ट ने कहा कि लोगों को एक, दो व पांच रूपये में भोजन की व्यवस्था की जाय ताकि लोग भूख से न मरने पाये।

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