हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब, चुनाव ड्यूटी के कारण जान गंवाने वाले कोरोना योद्धा क्यों नहीं

Allahabad High Court:हाईकोर्ट चुनावी ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वालों को सरकार कोरोना योद्धा का दर्जा क्यों नहीं दे रही।

Written By :  Anshuman Tiwari
Published By :  Shraddha
Update: 2021-05-28 03:59 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट (फाइल फोटो -सोशल मीडिया)

Allahabad High Court : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पंचायत चुनाव में ड्यूटी के दौरान कोरोना संक्रमण (Corona infection) से जान गंवाने वाले अध्यापकों और सरकारी कर्मचारियों के संबंध में राज्य सरकार से फिर जवाब तलब किया है। हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा है कि चुनावी ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वालों को कोरोना योद्धा का दर्जा क्यों नहीं दिया जा रहा।

जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा व जस्टिस अजीत कुमार की खंडपीठ ने सरकार को निर्देश दिया है कि वह चुनाव के दौरान संक्रमण से मौत का शिकार होने वाले अध्यापकों का सरकारी कर्मचारियों को कोरोना योद्धा मानने और उनके परिजनों को कोरोना योद्धा के बराबर मुआवजा देने के मामले में विचार करे। खंडपीठ ने सरकार को इस बाबत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

याचिका में सरकार की मदद पर सवाल

इलाहाबाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को यह निर्देश दिया। यह याचिका शिक्षक राहुल गैंगले की ओर से दाखिल की गई है। याचिका में कहा गया है कि पंचायत चुनाव में ड्यूटी करने के दौरान कोरोना संक्रमण से जान गंवाने वाले अध्यापकों और सरकारी कर्मचारियों के परिवार को 30 लाख की आर्थिक मदद दी जा रही है। वहीं कोरोना योद्धाओं के लिए 50 लाख रुपए का मुआवजा तय किया गया है। याचिका में सरकार की इस नीति को भेदभावपूर्ण बताया गया है।

आर्थिक संकट में फंसे कई परिवार

याचिका में यह भी कहा गया है कि चुनाव के दौरान संक्रमण का शिकार होने वाले कर्मचारियों को बाद में भी सरकार की ओर से किसी भी प्रकार की चिकित्सा सुविधा नहीं दी गई। मौत का शिकार होने वाले कई अध्यापकों और सरकारी कर्मचारियों के परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। कई परिवार तो भीषण संकट में फंस गए हैं क्योंकि उन्होंने परिवार के इकलौते कमाने वाले को ही खो दिया है। इस याचिका में पीड़ित परिवारों को उचित मुआवजा देने के संबंध में सरकार को निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।

जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस अजीत कुमार की खंडपीठ ने इस याचिका पर सुनवाई के दौरान सरकार को इस संबंध में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। खंडपीठ ने कहा कि सरकार यह भी बताए कि चुनाव ड्यूटी पर जान गंवाने वाले अध्यापकों व सरकारी कर्मचारियों को कोरोना योद्धा क्यों नहीं माना जा रहा। सरकार की ओर से जवाब दाखिल किए जाने के बाद इस याचिका पर आगे की सुनवाई होगी।

पांच जिलों में चिकित्सा सुविधाएं बढ़ाने का निर्देश

हाईकोर्ट की यही खंडपीठ कोरोना संक्रमण के इलाज और चिकित्सा सुविधाओं की मॉनिटरिंग भी कर रही है। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को प्रदेश के पांच जिलों भदोही, देवरिया, गाजीपुर, बलिया और शामली में मेडिकल सुविधाएं बढ़ाने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि कोरोना संक्रमित मरीजों के बेहतर इलाज के लिए इन जिलों में मेडिकल सुविधाएं बढ़ाना जरूरी है।

राज्य सरकार की ओर से बहराइच, बिजनौर, श्रावस्ती, बाराबंकी और जौनपुर में मेडिकल सुविधाएं बढ़ाने की रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। इस पर हाईकोर्ट ने संतोष जताया और पांच और जिलों में सुविधाएं बढ़ाने का निर्देश दिया। हाईकोर्ट की ओर से पिछले दिनों राज्य सरकार को स्वर्गीय न्यायमूर्ति वीके श्रीवास्तव के इलाज में लापरवाही के संबंध में रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया गया था। राज्य सरकार की ओर से इस बाबत भी रिपोर्ट हाईकोर्ट में दाखिल कर दी गई है। इस मामले पर सुनवाई अगली तारीख पर की जाएगी।

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