इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों के सहायक अध्यापकों को जूनियर हाईस्कूल के प्रिंसिपल पद पर प्रमोशन के लिए वरिष्ठता सूची तैयार करने पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने सचिव बेसिक शिक्षा परिषद उ.प्र. इलाहाबाद को निर्देश दिया है कि वह सभी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को सूचित करें कि वे वरिष्ठता सूची को अंतिम रूप न दें। कोर्ट ने राज्य सरकार से छह हफ्ते में जवाब मांगा है।
याचिका की सुनवाई 30 अक्टूबर को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल ने दिनेश कुमार व अन्य की याचिका पर दिया है।
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ये था याची का कहना
याची का कहना है कि वरिष्ठता सूची सहायक अध्यापकों की सेवा अवधि के आधार पर तैयार की जा रही है जो अनिल कुमार पाण्डेय केस के फैसले के विपरीत है। वरिष्ठता का निर्धारण उ.प्र. बेसिक शिक्षा अध्यापक सेवा नियमावली 1981 के नियम 22 के तहत पद पर मौलिक नियुक्ति तिथि से किया जाना चाहिए।
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कोर्ट ने की तीखी टिप्पणी
कोर्ट ने याचिका की सुनवाई करते हुए तीखी टिप्पणी की है कि बेसिक शिक्षा परिषद के अधिकारियों की मनमानी के कारण हाईकोर्ट में अनावश्यक याचिकाओं का बोझ बढ़ रहा है। परिषद कोर्ट के आदेश के विपरीत सेवा की पूरी अवधि के आधार पर वरिष्ठता निर्धारण कर रहा है जबकि मौलिक पद पर नियुक्ति तिथि से वरिष्ठता तय की जानी चाहिए।
कब तक पूरी हो जागी डायट लेक्चररों की भर्ती प्रक्रिया
वहीं, हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने पूछा है, कि डायट लेक्चररों की भर्ती प्रक्रिया कब तक पूरी कर ली जाएगी। कोर्ट ने राज्य सरकार को इस बाबत 22 सितम्बर तक जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। यह आदेश चीफ जस्टिस डीबी भोसले और जस्टिस राजन रॉय की खंडपीठ ने रामानंद सरोज की एक पीआईएल पर पारित किया। याची के अधिवक्ता अजय शर्मा ने बताया कि याचिका में डायट में लेक्चररों की कमी का मुद्दा उठाते हुए कह अगया है कि लेक्चररों की कमी का आलम यह है कि डायट केंद्रों पर गेस्ट लेक्चररों से काम चलाया जा रहा है। याचिका में कहा गया है कि वर्ष 2014 में सरकार ने भर्ती की बात कही थी। एक डायट पर 17 लेक्चररों की आवश्यकता है जबकि वर्तमान में दो या तीन लेक्चरर ही एक-एक डायट के लिए उपलब्ध हैं। याचिका पर जवाब देते हुए सरकार की ओर से कहा गया कि भर्ती प्रक्रिया चल रही है। इस पर न्यायालय ने पूछा कि उक्त भर्ती प्रक्रिया कब तक पूरी कर ली जाएगी व लेक्चररों की नियुक्ति कब तक हो सकेगी।