रेलवे कर्मियों के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा- कैट को विधायी शक्तियां नहीं हैं
इलाहाबाद: हाईकोर्ट ने न्यायालय अवमानना (केन्द्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण) नियमावली 1992 को असंवैधानिक घोषित करने की संशोधन अर्जी सुनवाई हेतु स्वीकार कर ली है। याचिका में अनुच्छेद- 215 व अवमानना अधिनियम की धारा- 23 के विपरीत होने के कारण नियमावली को रद्द करने की मांग की गई है।
यह आदेश न्यायमूर्ति शबीबुल हसनैन तथा न्यायमूर्ति केपी सिंह की खंडपीठ ने कृष्ण कुमार मिश्रा की याचिका पर दिया है। याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता एएन त्रिपाठी ने बहस की। उनका कहना था कि 'हाईकोर्ट कोर्ट ऑफ रिकार्ड' है। उसे व सुप्रीम कोर्ट को ही अवमानना का अधिकार है। साथ ही कैट की नियमावली बनाने का अधिकार केवल संसद को ही है। कैट नियमावली नहीं बना सकती।
ये है मामला
मालूम हो, कि 2003 में याचिका स्वीकार करते हुए कैट इलाहाबाद ने उत्तर मध्य रेलवे के 15 तदर्थ कर्मचारियों को नियमित करने का आदेश दिया था। 1984 से कार्यरत कर्मियों को 1999 से नियमित किया गया। किंतु आदेश का पालन 2005 में हुआ। तब तक याची सेवा में कनिष्ठ प्रोन्नति पा चुके थे। कैट में अवमानना याचिका देरी से आने के आधार पर खारिज कर दी गई। साल 2012 में हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई। जिसमें नियमावली की वैधता की चुनौती संशोधन अर्जी दी गई है।