Jhansi News: चिटफंड कंपनी करोड़ों की ठगी कर हुई फरार, गरीब निवेशक दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर
Jhansi News: मऊरानीपुर कस्बे में एक बार फिर चिटफंड घोटाले ने गरीब निवेशकों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। गोल्ड माइन नाम की चिटफंड कंपनी ने लगभग दो हजार निवेशकों से करीब 4 करोड़ रुपये की रकम लेकर फरार हो गई है।;
झांसी में चिटफंड कंपनी करोड़ों की ठगी कर हुई फरार (social media)
Jhansi News: मऊरानीपुर कस्बे में एक बार फिर चिटफंड घोटाले ने गरीब निवेशकों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। गोल्ड माइन नाम की चिटफंड कंपनी ने लगभग दो हजार निवेशकों से करीब 4 करोड़ रुपये की रकम लेकर फरार हो गई है। यह ठगी की घटना मऊरानीपुर कोतवाली क्षेत्र की है, जिसने न सिर्फ स्थानीय लोगों को बल्कि पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया है।
रोजाना बचत के नाम पर पैसे जमा कराए जाते थे
पीड़ित निवेशकों ने बताया कि गोल्ड माइन कंपनी का दफ्तर मऊरानीपुर के बस स्टैंड के पास स्थित था, जहां लोगों को रोजाना बचत के नाम पर पैसे जमा कराए जाते थे। कंपनी के मैनेजर आकाश गौहर, उसके पिता अनिल गौहर, बहन और भाई मिलकर यह पूरा धंधा चला रहे थे। लोगों को भरोसे में लेकर उन्हें मोटा रिटर्न देने का वादा किया गया, लेकिन जब निवेशकों की पॉलिसी की अवधि पूरी हुई और उन्होंने अपना पैसा वापस मांगा, तो कंपनी के दरवाजे बंद मिले।
पीड़ितों का क्या कहना है
अब दफ्तर में ताला लटका हुआ है और पूरा गौहर परिवार फरार बताया जा रहा है। पीड़ितों का आरोप है कि उन्होंने पुलिस को घटना की जानकारी दी और लिखित शिकायत भी सौंपी, लेकिन पुलिस ने आकाश गौहर को थाने में बिठाकर कुछ समय बाद बिना किसी कार्यवाही के छोड़ दिया। उनके अनुसार, उनके आवेदन को भी गंभीरता से नहीं लिया गया और शिकायत पत्र कचरे की टोकरी में डाल दिए गए।
पीड़ित निवेशक राकेश प्रजापति ने कहा कि "हमने मेहनत की कमाई बचा-बचाकर जमा की थी, अब सब कुछ लुट गया। पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की, बस हमसे कहा कि देखते हैं। अब हम कहां जाएं?"
महिला निवेशक सीमा देवी ने रोते हुए बताया "मेरे बच्चों की पढ़ाई और घर खर्च का सारा पैसा इसी कंपनी में था। अब घर चलाना मुश्किल हो गया है। हमें इंसाफ चाहिए।" पीड़ितों ने जिला प्रशासन और उच्च अधिकारियों से इस घोटाले की जांच कर दोषियों को सख्त सजा दिलाने की मांग की है। साथ ही चेतावनी दी है कि अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो वह धरना-प्रदर्शन कर सड़कों पर उतरने को मजबूर होंगे। स्थानीय प्रशासन की उदासीनता और पुलिस की लापरवाही पर अब सवाल उठने लगे हैं। एक बार फिर मऊरानीपुर जैसे छोटे कस्बे में यह साबित हुआ है कि फर्जीवाड़े के लिए कानून से ज्यादा भरोसेमंद 'चुप्पी' और 'प्रशासनिक लापरवाही' है।