स्कूलों की मनमानी फीस वसूली पर इलाहाबाद हाईकोर्ट सख्त, यूपी सरकार और बोर्डों से मांगा जवाब
कोरोना काल में प्राइवेट स्कूलों द्वारा मनमाने तरीके से फीस लेने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार, यूपी बोर्ड, सीबीएसई बोर्ड और आईसीएसई बोर्ड को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
देश भर में पिछले दो सालों से कोरोना महामारी का प्रकोप है, जिससे तमाम बोर्डों के स्कूल बंद हैं और ऑनलाइन पढ़ाई चल रही है, कोरोना की दूसरी लहर में ऑनलाइन कक्षाएं भी बाधित हुई थीं, लेकिन प्राइवेट स्कूलों द्वारा मनमाने तरीके से फीस वसूल रहे हैं। जिसके खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में पैरेंट्स एसोसिएशन की तरफ से एक याचिका दाखिल की गई थी। उसी याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार, यूपी बोर्ड, सीबीएसई बोर्ड और आईसीएसई बोर्ड को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा है। हाईकोर्ट ने जवाब दालिख करने के लिए पांच दिन की मोहलत दी है। इस केस की अगली सुनवाई 5 जुलाई को होगी।
सुनवाई के दौरान यूपी सरकार की तरफ से कोर्ट में दलील दी गई कि स्कूलों के ट्यूशन फीस के अलावा बाकी कोई भी शुल्क लेने पर रोक लगा दी गई है। इस बारे में आदेश भी जारी कर दिया गया है, लेकिन हाईकोर्ट सरकार की इस दलील से संतुष्ट नहीं हुआ। कोर्ट ने सरकार से पूछा कि ऐसे आदेश जारी करने का क्या फायदा, जिस पर अमल ही न हो, मामले की सुनवाई एक्टिंग चीफ जस्टिस एमएन भंडारी और जस्टिस राजेंद्र कुमार की डिवीजन बेंच में हुई।
जनहित याचिका में क्या कहा गया
बता दें ये जनहित याचिका मुरादाबाद की पैरेंट्स ऑफ ऑल स्कूल एसोसिएशन संस्था की तरफ से दाखिल की गई है। जिसमें कहा गया कि यूपी के ज़्यादातर स्कूल कोरोना काल में बंदी के बावजूद मनमाने तरीके से फीस वसूल रहे हैं। ट्यूशन फीस के साथ ही तमाम दूसरे मदों में भी शुल्क वसूला जा रहा हैं। अभिभावकों को एसएमएस और व्हाट्सएप के ज़रिये मैसेज भेजकर उन पर पूरी फीस भरने का दबाव बनाया जा रहा है। फीस न भरने पर बच्चों का नाम काटने व ऑनलाइन क्लासेज में शामिल नहीं कराए जाने की धमकी दी जा रही है।
याचिकाकर्ताओं के वकील शाश्वत आनंद ने कहा कि जिले स्तर पर डीएम की अगुवाई में एक कमेटी बनाए जाने का भी नियम है, लेकिन ज़्यादातर जगहों पर कोई कमेटी बनी ही नहीं है। जनहित याचिका के ज़रिये कोरोना काल में बंदी के दौरान स्कूलों की ट्यूशन फीस आधी किये जाने की भी मांग की गई है।